Tuesday 30 April 2013

अइसन होथे काबर...?


(श्रमिक दिवस पर छत्तीसगढ़ी में लिखा गीत)

अइसन होथे काबर संसार म
मेहनत करइया जीथे उधार म....

हटर-हटर बुता करथे जांगर पेराथे
घाम-पानी चिन्हय नहीं लहू अंटाथे
तभो लांघन मरते हंडिय़ा वोकरे तिहार म.....

कुंवा खोद पानी ओगराथे बंजर-पहार म
गंगा ल परघा के लाथे जे मन चतवार म
कइसे मीठ पानी रिसाय रथे वोकरे दुवार म.......

कोइला कोड़ के बड़े-बड़े भ_ी सिपचाथें
गडिय़ा के खंभा चारों खुंट बिजली बगराथें
फेर बूड़े रहिथे वोकरे घर भंइसा-अंधियार म.......

बड़े-बड़े कारखाना म लोहा जेन गलाथें
सबके रेहे खातिर महल-अटारी टेकाथें
तभो वोकरे परिवार बसथे निच्चट उजार म........


सुशील भोले
डॉ. बघेल गली, संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 098269 92811
ई-मेल -  sushilbhole2@gmail.com

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