Saturday 25 May 2013

कभी जीवन देकर तुम देखो...























(छत्तीसगढ़ के जीरम घाटी (सुकमा-बस्तर) क्षेत्र में शनिवार 25 मई  2013 को देश के सबसे बड़े नक्सल हमला के संदर्भ में हार्दिक श्रद्धांजलि सहित यह गीत-)

सुनो आग पर चलने वालों, कभी घास पर चलकर देखो
जीवन लेना तो है आसां, कभी जीवन देकर तुम देखो....

रक्तपात से कैसे होगा, जीवन कोई खुशहाल भरा
न्याय कहां स्थापित होगा, जब रीत जाएगी ये धरा
छुप-छुप कांटों पर चलने वालों, राजमार्ग पर चलकर देखो...

कभी खोदते पुल और सड़कें, कभी शाला भवन ढहा देते
विद्युत खंभों को तुम पहले, गुप्तचर समझ जला देते
अरे अंधकार को बांटने वालों, कभी ज्ञान-ज्योत जलाकर देखो...

जल-जमीन-जंगल हमें भी, प्यारा है जीवन जैसा
सृष्टि का आधार यही है, तब विनाश इसका कैसै
मानवाधिकार की बातें अच्छी, पर मानवधर्म निभाकर देखो...

                             सुशील भोले
                  संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
                          मोबा. नं. 098269-92811
                    ईमेल -  sushilbhole2@gmail.com

2 comments:

  1. पर मानवधर्म निभाकर देखो
    विनम्र अनुरोध सहित
    सलवा जुडूम अभियान में इसका ध्यान रखा जाता तो शायद स्थितियां बेहतर होतीं

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    1. मैंने जो देखा उसे ही लिखा है..
      पत्रकार होने के नाते मुझे उस क्षेत्र में जाने का अवसर मिलता रहा है..

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