Monday 17 June 2013

जहुंरिया ल का हो जाथे...

(सूफी शैली का एक छत्तीसगढ़ी गीत)













जहुंरिया ल का हो जाथे रे, धनी ल का हो जाथे न
बिहनिया आथे संझा चले जाथे, रतिहा ल कहां बिताथे...

मन बैरी मानय नहीं, जिवरा धुक-धुक करथे
कोनो सउत के संसो म तन म आगी कस बरथे
करिया जाथे रे, लाली रंग के सपना ह करिया जाथे...

मंदिर-मस्जिद खोज डरे हौं, गुरुद्वारा म झांके हौं
चारों मुड़ा के चर्च मनला बही-भूती कस ताके हौं
निरगुन घाट म जा के घलो, आंखी पथराथे रे....

चंदा उतरगे हे गांव म, जुग-जुग ले हे गली खोर
फेर मोर मयारु संग जुड़ही, कइसे मया के डोर
जमो आस सिरागे रे, बइरी बिरहा बिजराथे न....

सुशील भोले
संपर्क : 41-191, कस्टम कालोनी के सामने,
 डॉ. बघेल गली, संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
 मोबा. नं. 098269 92811

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