Thursday 27 June 2013

जिनगी घाम-छांव बन जाथे....

(भारतीय काल गणना पद्धति के अनुसार आज आषाढ़ कृष्ण पंचमी को मेरा जन्म दिन है, अंगरेजी पद्धति के अनुसार यह तिथि 2 जुलाई को आती है। आज मुझे जीवन दर्शन पर आधारित इस छत्तीसगढ़ी गीत को आप सबसे साझा करने का मन हो रहा है...)












कोन गली ले आथे-जाथे, लोगन ल भरमाथे
ये जिनगी घाम-छांव बन जाथे, ये जिनगी.....

लुड़बुड़-लुड़बुड़ रेंगत आथे, जब बचपन के दिन ह
हांसत-कुलकत बीतत जाथे, एकक पल अउ छिन ह
गुरतुर-गुरतुर सबो जनाथे, अउ सुटरुंग ले बीत जाथे....

होत जवान मंद-मउहा कस, नशा देखाथे जिनगानी
करू-कस्सा सबो जिनीस बर मुंह म आ जाथे पानी
का सहीं अउ का गलत ये, जम्मो भेद ल भुलवाथे.....

खांसत-खोखत लाठी टेंकत, आथे जब जिनगानी
पाप-पुण्य के लेखा सरेखा, करवाथे फेर जुबानी
तब मुड़ धरके रोथे, अउ नंगत के बोंबियाथे......

एकरे सेती काहत रहिथें, ज्ञानी-ध्यानी मनखें
जिनगी अइसन जीयव जस, पानी म कमल रहिथे
पानी म रहिके घलो जे, पानी ले अलग रहि जाथे...
                                        सुशील भोले
                                    संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
                                    मोबा. नं. 098269-92811
                         फेसबुक - http://www.facebook.com/kavisushil.bhole
                               ईमेल - sushilbhole2@gmail.com

No comments:

Post a Comment