Sunday 28 July 2013

सवनाही के सोर...













गांव-बस्ती म मचगे हावय, सवनाही के सोर
झमाझम बरखा नाचय रे, संग देवय पवन झकोर....

कड़कड़-कड़कड़ बिजुरी कड़कथे आंखी फरकाथे
ठढ़बुंदिया पानी म सरबस, धरती ल हरसाथे
तब अइसे जनाथे रे, जइसे सम्हर गे हे गली-खोर.....

तरिया-नंदिया घाठ-घठौंदा, गाभिन कस हो जाथे
कब के छोड़े बिरहिन घलो, मंद-मंद मुसकाथे
पिया संग जोड़े खातिर रे, जइसे लमा दिए हे डोर...

गस्ती खाल्हे के शिव-मंदिर म, लोगन के रेला रहिथे
धरे बेल-पाती कंवरिहा, बम-बम भोले कहिथे
तब मया बरसथे रे, शिव-शंकर के घनघोर....

सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 098269-92811
ब्लॉग -http://www.mayarumati.blogspot.in/
ईमेल - sushilbhole2@gmail.com

No comments:

Post a Comment