Wednesday 21 August 2013

रात गजब अंधियारी हे...













रात गजब अंधियारी हे, अउ अंधरा के पहरादारी हे
सोन चिरइया सुसकत हावय, कइसे ये दुनियादारी हे....

रायपुर ले दिल्ली तक मचे हे, चोरो-बोरो अउ हाहाकार
रकम-रकम के गरकट्टा हें, तब ले होथे जय-जयकार
चारों मुड़ा बस लूट-खसोट, अउ अपनेच घर बटमारी हे...

हर थाना म संडा-पंडा, सत्ता के सरी लठेंगरा हें
चोरहा संग मितानी बदथें, सिधवा बर जबर लुटेरा हें
रक्षक के अब भेस बदलगे, भक्षक वोकर चिन्हारी हे..

उज्जर-उज्जर कपड़ा-लत्ता, फेर मन बिरबिट करिया हे
राज मारग म बेटी मन के, इज्जत चिरहा फरिया हे
मुखिया मन के मुच-मुच बोली, फेर पीठ म छूरी-कटारी हे...

सुशील भोले
डॉ. बघेल गली, संजय नगर (टिकरापारा), रायपुर
मो.नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल - sushilbhole2@gmail.com

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