Sunday 27 October 2013

मुखौटा ही मुखौटा है...

मुखौटा ही मुखौटा है, अदब के इस जमाने में
जुल्म जो करते, कृपा बरसती उनके तराने में....

कहां जायें किसे मानें, भरोसा हर पल बिखरता है
पाखंड के दौर में, जुगनू सूरज बन फुदकता है
कैसा ये बेशर्म जमाना, डरता नहीं लजाने में....

कैसा रिश्ता कैसा नाता, कैसा प्रेम का बंधन है
हर बात पर छलने वाला, पाता यहां अभिनंदन है
मक्कारों का बाजार सजा है, लगे हैं सच छिपाने में....

लुटेरों ने गजब ढाया, बनाया रूप सेवक का
आवरण साधु का ओढ़ा, फैलाया भ्रम देवत्व का
फिर सेंध लगाये हौले से, जनता के खजाने में....

सुशील भोले
म.नं. 41-191, कस्टम कालोनी के सामने,
डॉ. बघेल गली, संजय नगर (टिकरापारा)
रायपुर (छ.ग.) मोबा. नं. 098269 92811
ई-मेल - sushilbhole2@gmail.com

http://www.youtube.com/watch?v=l_5FIkbKYQQ&feature=youtu.be

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