Wednesday 27 November 2013

छत्तीसगढ़ी दिवस...

छत्तीसगढ़ राज के महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी ल 28 नवंबर 2007 के छत्तीसगढ़ विधानसभा म सर्वसम्मति ले पास करके ये राज के *राजभाषा* के रूप म स्वीकृत करे गे रिहिसे। एकरे सेती ये राज के जम्मो भाखा प्रेमी साहित्यकार, पत्रकार, समाजसेवी अउ बुद्धिजीवी मन मिलके हर बछर 28 नवंबर के *छत्तीसगढ़ी दिवस* मनाये के निर्णय लिए हें।
त आवव वो निर्णय ल माथ नवावत अपन महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी के बढ़वार खातिर परन ठानन के आज ले हर काम-काज अउ लेखा-जोखा छत्तीसगढ़ी म करबोन, सरकार ल येला प्राथमिक कक्षा ले शिक्षा के माध्यम बनाये खातिर जोर देबोन...
जय छत्तीसगढ़ी... जय महतारी भाखा...  

सुशील भोले
 संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मो.नं. 080853-05931, 098269-92811

Tuesday 26 November 2013

अपन भाखा...

(28 नवंबर को छत्तीसगढ़ी भाषा दिवस पर....)

अबड़ मयारु अपन भाखा, अंतस म बस जाथे
महतारी के गोरस जइसे, सबले मीठ जनाथे.....

छनर-छनर घुंघरु कस बोली, मन म मया जगाथे
कोन अपन अउ कोन बिरान, भेद जमो भुलवाथे
देश-दुनिया संग मेल करवाथे, मितानी बदवाथे.....

कभू ददरिया कभू सुआ, अउ करमा रोज सुनाथे
गौरा-गौरी कस सज-धज के भड़भड़ बोकरा जगाथे
रउताही के अरा-ररा-रा, झुम-झुम के नचवाथे......

राजभाखा तो बनगे हावय, अब गुरुजी ह पढ़वाही
आनी-बानी के किस्सा-कहिनी, जनउला घलो जनाही
राजकाज घलो अब चलही, तइसे मोला सुनाथे.....

सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल -  sushilbhole2@gmail.com

Monday 25 November 2013

अमृत महोत्सव.....

छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार, पर्यावरण विद् और संस्कृति मर्मज्ञ डॉ. दशरथ लाल निषाद *विद्रोही* के पचहत्तरवें जन्म दिवस को संगम साहित्य समिति, मगरलोड द्वारा *अमृत महोत्सव* के रूप में मनाया गया।
साहित्यकार सुशील भोले के मुख्यआतिथ्य एवं डुमन लाल धु्रव की अध्यक्षता में रविवार 24 नवंबर को संगम भवन, मगरलोड में आयोजित इस गरिमामय कार्यक्रम में प्रदेश भर से बड़ी संख्या में पहुंचे साहित्यकार, बुद्धिजीवी एवं समाजसेवी उपस्थित थे। मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते हुए सुशील भोले ने संस्था के पदाधिकारियों से अनुरोध किया कि *विद्रोही* जी की कृतियों को आधुनिक तकनालाजी के माध्यम से संरक्षित किया जाना चाहिए, ताकि उनमें संग्रहित मौलिक एवं बहुमूल्य ज्ञान को आने वाली पीढ़ी के साथ ही साथ पूरी दुनिया के लिए  सुरक्षित रखा जा सके।
इस अवसर पर *विद्रोही* जी की 29 वीं कृति *साहिल* का विमोचन भी किया गया, तथा उन्हें उनकी ही साहित्यिक कृतियों से तौला गया।
संस्था के अध्यक्ष जे. आर. साहू, सचिव पुनूराम साहू राज, भोलाराम सिन्हा, वीरेन्द्र सरल, आत्माराम साहू, ललित पटेल, रमेश ठाकुर, अधमरहा जी, सोनवानी जी सहित समिति के सभी सदस्यों ने आमंत्रित अतिथियों के साथ *विद्रोही* जी का शाल, श्रीफल, प्रशस्ति-पत्र एवं पुष्प गुच्छ के साथ अभिनंदन किया एवं उनकी दीर्घायु के लिए कामना की। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रसिद्ध हास्य कवि वीरेन्द्र सरल ने किया।




Friday 22 November 2013

फुदुक-फुदुक भई फुदुक-फुदुक....

(छत्तीसगढ़ी भाषा के इस बालगीत को मैं अपनी मझली बेटी के लिए तब लिखा था, जब वह करीब एक वर्ष की थी, और थोड़ा-बहुत लडख़ड़ा कर चलने की कोशिश कर रही थी। उस समय भी आज की ही तरह ठंड का आगमन हो चुका था, और वह बिना कपड़ा पहने घर के आंगन में इधर-उधर खेल रही थी....)












फुदुक-फुदुक भई फुदुक-फुदुक
खेलत हे नोनी फुदुक-फुदुक....

बिन कपड़ा बिन सेटर के
जाड़ ल बिजरावत हे।
कौड़ा-गोरसी घलो ल,
एहर ठेंगा देखावत हे।
बिन संसो बिन फिकर के,
कुलकत हे ये गुदुक-गुदुक......

कभू गिरथे, कभू उठथे,
कभू घोनडइया ये मारथे।
कभू तो मडिय़ावत ये,
अंगना-परछी किंजर आथे।
कभू-कभू तो जलपरी कस,
पानी खेलथे चुभुक-चुभुक.....

सुशील भोले 
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
ई-मेल - sushilbhole2@gmail.com
मो.नं. 08085305931, 098269 92811

Wednesday 20 November 2013

चलो गांव की ओर...

चलो गांव की ओर जहां सूरज गीत सुनाता है
तारों के घुंघरू बांध, चंद्रमा नृत्य दिखाता है.....

अल्हड़ बाला-सी इठलाती, नदी जहां से बहती है
मंद महकती पुरवाई, जहां प्रेम की गाथा कहती है
बूढ़ा बरगद पुरखों की, झलक जहां दिखलाता है....

रिश्ते-नाते जहां अभी भी मन को पुलकित करते हैं
दादी-नानी के नुस्खे, जीवन में रस-रंग भरते हैं
पूरा कस्बा परिवार सरीखा जहां अभी भी रहता है...

भाषा जिसकी भोली-भाली, तुतलाती बेटी-सी प्यारी
जहां संस्कृति पल्लवित होती जैसे मालिन की फुलवारी
धर्म जहां हिमालय जैसा, अडिग आशीष लुटाता है.....

सांझ ढले जब ग्वाले की, बंशी की तान बजती है
गो-धूली गुलाल सरीखी, जब माथे पर सजती है
तब पूरा परिवेश जहां का, गोकुल-सा बन जाता है....
सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
ई-मेल - sushilbhole2@gmail.com
मो.नं. 08085305931, 098269 92811,
http://www.youtube.com/watch?v=93Kvenj3nZ8

Tuesday 19 November 2013

कथरी ह गोई रतिहा ....

(अगहन माह प्रारंभ हो गया है, इसी के ठंड अपना असर दिखाने लगी है। ऐसे में यह छत्तीसगढ़ी गीत प्रासंगिक लगने लगा है।)



कथरी ह गोई रतिहा गजब सुहाथे
उत्ती के घाम असन कुनकुन जनाथे...

धुंका-धुर्री के संग म जब ले जाड़ आए हे
लइका-सियान सब्बो ल कंपकंप ले कंपाए हे
तब ले गउकिन चुरुमुरु सुतई ह सुहाथे....कथरी ह....

अग्घन-पूस के बेरा ह सुटरुंग ले पहाथे
फेर रतिहा जुलमी ह नंगत के सताथे
धन तो गोरसी के अंगरा ह देंह ल दंदकाथे... कथरी ह...

तरिया-नंदिया के पानी ले कुहरा तो उडिय़ाथे
बने ताते-तात होही, मनला वो भरमाथे
फेर छूते साथ गोई करा कस जनाथे... कथरी ह ...

अइसने बेरा म आथे जब काकरो सुरता
मन मुचमुचाथे अउ मया के होथे बरसा
अंतस के भीतर तब ताते-तात जनाथे... कथरी ह...

सुशील भोले
संपर्क : 41-191, कस्टम कालोनी के सामने,
 डॉ. बघेल गली, संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
 मो.नं. 080853-05931, 098269-92811

Sunday 17 November 2013

रामराज्य का दर्शन और आज के रामनामी....

रामराज्य के दर्शन को संक्षिप्त में परिभाषित करें, तो यह स्थानीय मूल के व्यक्ति के हाथों में स्थानीय शासन सौंंपना है।
याद करें राम का वनवास काल, जिसके कारण उन्हें भगवान की श्रेणी में स्थापित किया गया। किसकिंधा में बालि वध के पश्चात वहां का शासन सुग्रीव को सौंपा गया। इसी तरह रावण वध के पश्चात लंका का शासन विभिषण को सौंपा गया। यदि राम चाहते तो उनके स्थान पर अपने किसी बंधु-बांधव को उन स्थानों का राजा बना सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
हम राम को भगवान इसीलिए कहते हैं, क्योंकि उन्होंने न्याय की स्थापना की । किसी के अधिकार पर कभी डाका नहीं डाला, किसी के मुंह से निवाला नहीं छीना। लेकिन आज के तथाकथित रामनामी क्या कर रहे हैं? राष्ट्रीयता की आड़ में स्थानीय मूल के निवासियों को षडयंत्र पूर्वक किनारे कर उनके स्थान पर अन्य क्षेत्रों से आये लोगों को शासन-प्रशासन पर स्थापित करते जा रहे हैं।
प्रश्न है कि यह रामराज्य है अथवा रावण राज्य? दूसरे लोगों के अधिकारों को, उनके घर-द्वार और ठिकानों को  षडयंत्र पूर्वक छीनने का कार्य तो रावण का रहा है ना, तो फिर इसे रामराज्य कैसे कहा जा सकता है?
आज छत्तीसगढ़ के साथ ही साथ समूचे देश का मूल निवासी समाज अपने-आप को उपेक्षित और शोषित महसूस कर रहा है। आंदोलन और बगावत की राह अख्तियार कर रहा है, तो उसका मूल कारण यही है, कि किसी न किसी बहाने उनके मुंह से निवाला छीना जा रहा है, उनके अधिकारों पर कुठाराघात किया जा रहा है, उनकी अस्मिता को तहस-नहस कर उसके स्थान पर बाहरी लोगों की अस्मिता और पहचान को स्थापित किया जा रहा है।
जब तक ऐसे दृश्यों को रोका नहीं जायेगा, तब तक दुनिया में कभी भी सुख-शांति की स्थापना नहीं हो पायेगी... रामराज्य का सपना साकार नहीं हो पायेगा।
तो आइये शपथ लें... इस चुनाव में केवल स्थानीय मूल के निवासियों को विजयी बनाकर रामराज्य के मूल दर्शन को साकार करेंगे।

सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811

छत्तीसगढ़ में द्वितीय चरण का मतदान 19 को...

* छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के लिए हमारे पुरखों ने जो स्वप्न देखा है, उस स्वप्न या उस अवधारणा को पूर्ण करने वाले लोगों को ही इस विधान सभा के चुनाव में विजयी बनाना है।

* छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति, भाषा, साहित्य और संपूर्ण अस्मिता के लिए समर्पित लोगों को ही प्राथमिकता के साथ विजयी बनायें। क्योंकि छत्तीसगढ़ को राजनीतिक गुलामी से मुक्ति दिलाने के लिए, इसे पहले धार्मिक एवं सांस्कृतिक गुलामी से मुक्त कराना आवश्यक है।

* कोई भी राजनीतिक पार्टी दूध की धुली हुई नहीं है। इसलिए पार्टी के आधार पर नहीं, अपितु व्यक्ति के आधार पर मतदान करें।

* यदि आपके क्षेत्र में किसी भी राजनातिक दल ने हमारे मापदंडों के आधार पर योग्य प्रत्याशी को चुनाव मैदान में नहीं उतारा है, तो वोटिंग मशीन के सबसे नीचे वाले गुलाबी रंग के बटन (नोटा / रिजेक्ट) को दबाकर सभी पार्टी वालों को योग्य उम्मीदवार चयन करने के लिए विवश करें...  लोकतंत्र को मजबूत बनायें।

Friday 15 November 2013

ठहरा हुआ पानी...ठहरी हुई सरकार....

जिस तरह से ठहरा हुआ पानी धीरे-धीरे गंदा होकर अनुपयोगी होने लगता है, उसी प्रकार ठहरी हुई सरकार भी अनुपयोगी होने लगती है। इनका नियमित रूप से परिवर्तित होते रहना आवश्यक है.....

सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल - sushilbhole2@gmail.com

बदलौ वो ....

घर बदलौ, रोजगार बदलौ, बदल देवौ खेत-खार ल
जनता के जे दुख नइ चिन्हय, बदलौ वो सरकार ल... 
                                                    सुशील भोले

Thursday 14 November 2013

बचपन वापस आ जाए...












ऐसा कर दो कोई करिश्मा, बचपन वापस आ जाए
जीवन चक्र घुमा दो मेरा, शाम, सवेरा हो जाए.....

मां की लोरी फिर कानों में, गंूज रही है सांझ-सवेरे
दादी किस्से सुना रही है, बाल सखाओं को घेरे
फिर आंगन में हाथों के बल, धमा-चौकड़ी हो जाए...

स्कूल के दिन फिर ललचाते, अक्षर-अक्षर मुझे बुलाते
दोहे और पहाड़े गाते, जाने क्या-क्या राग सुनाते
ऐसा कर दो कोई गुरुजी, छड़ी फिर से चमकाए....

मुझे बुलाती हैं वो गलियां, जहां कभी कंचा खेला
जीवन की पगदंडी पकड़ी, और देखा इंसा का रेला
ऐसा कर दो कोई उस पथ पर, कदम मेरा फिर चल जाए...

सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
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Monday 11 November 2013

दीपावली मिलन...

चंद्राकर छात्रावास डंगनिया, रायपुर में रविवार 10 नवंबर को आयोजित दीपावली मिलन समारोह का एक दृश्य.....

Thursday 7 November 2013

कइसे पाबे तैं अधिकार....













जब तक दिल्ली म बइठे हे, तोर भाग के खेवनहार
तब तक बेटा छत्तीसगढिय़ा, कइसे पाबे तैं अधिकार
जाग रे बेटा छत्तीसगढिय़ा, तोर पुरखा के हवय पुकार
इतिहास गोहरावत हावय, तोरो होही जय-जयकार......

तोर घर अउ तोरे अंगना, फेर नीति वोकर चलत हे
एकरेच सेती जम्मो बैरी, तोर छाती म कूदत हें
वोकर इहां जतका मोहरा हें, करथें भावना के बैपार....

राष्ट्रीयता के माने नोहय, इहां के मुंह म पैरा बोजंय
अउ चारों मुड़ा के धन-दौलत ल, अंखमुंदा उन लूटंय
अब तो चेत जा परबुधिया, अपन-बिरान के कर चिनहार....

अपन हाथ म राज लिए बर, अपन फौज बनाना परही
जे मन दोगलाही करथें, उंकरो मौत मनाना परही
कतकों मीत-मितानी होवय, तभो कतर रे जस कुसियार....

सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल - sushilbhole2@gmail.com 

मेघा घाट पर एक शाम..

छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी महानदी पर स्थित मेघाघाट (पुल) पर छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के 13 वर्ष पूर्ण होने की पूर्व संध्या पर....

Tuesday 5 November 2013

मड़ई-मेला का पर्व प्रारंभ...

छत्तीसगढ़ में कार्तिक शुक्ल द्वितीया को *मातर* का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व में मड़ई जगाने (उठाने या मनाने)) का भी कार्य संपन्न किया जाता है, और फिर इसी के साथ प्रारंभ हो जाती है लगातार करीब तीन महीनों तक चलने वाली मड़ई-मेला की अटूट श्रृंखला, जो महाशिवरात्रि में जाकर संपन्न होती है। मड़ई-मेला का अयोजन यहां के प्राय: सभी गांवों में किसी न किसी रूप में अवश्य मनाया जाता है। लेकिन यहां की पवित्र नदी, नाले और जलाशयों के किनारे स्थित सिद्ध शिव स्थलों पर भरने वाला विशेष मेला लोकआस्था के साथ ही साथ उनके मंगल-उत्साह का भी प्रतीक होता है। ऐसे बड़े मेलों का आयोजन कार्तिक पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि के बीच आने वाली विशेष तिथियों पर होता है।

Monday 4 November 2013

कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह

छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर गिरौद (मेघा) जिला-धमतरी के शिक्षकों ने शिक्षक सम्मान एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया था। कार्यक्रम में मेरा कवितापाठ एवं ग्राम के पूर्व सरपंच के हाथों सम्मान।

Friday 1 November 2013

सुरहुत्ती अउ गौरा-गौरी बिहाव के बधाई...

अंजोरी तिहार सुरहुत्ती, लछमी पूजा अउ गौरा-गौरी बिहाव परब के आप सबो झन ला गाड़ा-गाड़ा बधाई अउ शुभकामना। आप सबके जिनगी म सुरहुत्ती के अंजोर बगरय.... लछमी दाई के मया अउ आशीष मिलय....