Tuesday 26 November 2013

अपन भाखा...

(28 नवंबर को छत्तीसगढ़ी भाषा दिवस पर....)

अबड़ मयारु अपन भाखा, अंतस म बस जाथे
महतारी के गोरस जइसे, सबले मीठ जनाथे.....

छनर-छनर घुंघरु कस बोली, मन म मया जगाथे
कोन अपन अउ कोन बिरान, भेद जमो भुलवाथे
देश-दुनिया संग मेल करवाथे, मितानी बदवाथे.....

कभू ददरिया कभू सुआ, अउ करमा रोज सुनाथे
गौरा-गौरी कस सज-धज के भड़भड़ बोकरा जगाथे
रउताही के अरा-ररा-रा, झुम-झुम के नचवाथे......

राजभाखा तो बनगे हावय, अब गुरुजी ह पढ़वाही
आनी-बानी के किस्सा-कहिनी, जनउला घलो जनाही
राजकाज घलो अब चलही, तइसे मोला सुनाथे.....

सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल -  sushilbhole2@gmail.com

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