Wednesday 31 December 2014

नव वर्ष की शुभकामनाएं...

नया वर्ष आपके जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली लेकर आये...शुभकामनाएं...

                                                                                                          * सुशील भोले *  

Tuesday 30 December 2014

भोरमदेव का मंड़वा महल...

एेसा कहा जाता हैं कि इस मंदिर को बनवाने वाले राजा ने शादी में उपहार स्वरूप दिया था..  इसीलिए यहां मंदिर की दीवारों पर यौन प्रतिमाएं बहुतायत में उकेरी गई हैं।

Saturday 27 December 2014

भोरम देव का झील....

छत्तीसगढ़ के खजुराहो के नाम से प्रसिद्ध भोरम देव मंदिर परिसर में प्रवेश करने के पहले ही एक खूबसूरत झील है.. छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल की ओर से आजकल इसमें बोटिंग की व्यवस्था की गई है। कभी बोटिंग का भी मजा लीजिये...


मंदिर परिसर के पहले उद्यान बनाया गया है, यह उसका प्रवेश द्वार है...
 

Friday 26 December 2014

भोरम देव मंदिर में ....

छत्तीसगढ़ के खजुराहो के नाम से प्रसिद्ध भोरम देव मंदिर में जाने का अवसर बड़े दिनों के बाद मिला। ...
मुख्य मंदिर में

मुख्य मंदिर के अंदर साथ में डा. जयभारती चंद्राकर जी



(भोरमदेव का छोटा मंदिर इंट से निर्मित के गर्भगृह में)

मित्रों के साथ

Wednesday 24 December 2014

अब तक के भारत रत्न....

भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में काबिज केन्द्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न देने का फैसला किया है। 24 दिसंबर को हुई कैबिनेट की बैठक में इस बात का फैसला लिया गया। कैबिनेट की सिफारिश मिलने के बाद राष्ट्रपति भवन की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई। ऐसा पहली बार नहीं है जब एक साल में दो हस्तियों को यह सम्मान दिया गया हो। इससे पहले कई मौकों पर तीन और चार शख्सियतों को भी इस सम्मान से अलंकृत किया गया है।

आइए, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान को पाने वाली विभूतियों को जानें...
अटल बिहारी वाजपेयी
भारतीय जनता पार्टी लंबे समय से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न देने की मांग करती रही है। इसलिए यह तय माना जा रहा था कि सत्ता में आने के बाद भाजपा की मुखियायी में चल रही केन्द्र सरकार वाजपेयी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजेगी। उन्हें भारत रत्न देने की घोषणा भी की जा चुकी है।

मदन मोहन मालवीय
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक मदन मोहन मालवीय को भी सरकार ने भारत रत्न देने की घोषणा की है। ज्ञात रहे अटल बिहारी वाजपेयी और मदन मोहन मालवीय दोनों के ही 25 दिसंबर को जन्मदिन है।

सचिन तेंडुलकर (जन्म 1973)
विश्व के महानतम बल्लेबाजों में शुमार सचिन तेंडुलकर को 4 फरवरी 2014 के दिन राष्टपति प्रणव मुखर्जी ने यह सम्मान दिया था। उन्हें साल 2013 के लिए यह सम्मान मिला था।

सीएनआर राव (जन्म 1934)
 वैज्ञानिक सीएनआर राव को भी साल 2013 के लिए भारत रत्न सम्मान मिला था। उन्हें राष्ट्रपति ने 4 फरवरी 2014 को इस सम्मान से अलंकृत किया। राव जाने-माने रसायनशास्त्री हैं, जिन्होंने सॉलिड स्टेट और स्ट्रक्चरल केमिस्ट्री की फील्ड में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

भीमसेन जोशी (1922-2011)
साल 2008 में सम्मानित भीमसेन जोशी को बचपन से ही संगीत का बहुत शौक था। वह किराना घराने के संस्थापक अब्दुल करीम खान से बहुत प्रभावित थे।

शहनाई वादक बिस्मिल्ला खां (1916-2006)
साल 2001 में लता मंगेशकर के साथ ही बिस्मिल्ला खां दो शख्सियतों को यह सम्मान दिया गया था। बिस्मिल्ला खां भारत में शहनाई वादन के लिए जाने जाते थे।

लता मंगेशकर (जन्म- 1929)
2001 में सम्मानित सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर भारत की सबसे लोकप्रिय गायिका हैं, जिनका छ: दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है। हालांकि लता जी ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फिल्मी और गैर-फिल्मी गाने गाये हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पाश्र्वगायक के रूप में रही है। अपनी बहन आशा भोंसले के साथ लता जी का फिल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है।

गोपीनाथ बोरदोलोई (1890-1950)
साल 1999 में चार हस्तियों को भारतरत्न सम्मान से अलंकृत किया गया। इनमें गोपीनाथ बोरदोलोई, अमत्र्य सेन, रवि शंकर और जयप्रकाश नारायण थे।
गोपीनाथ बोरदोलोई भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और असम के प्रथम मुख्यमंत्री थे। इन्हें 'आधुनिक असम का निर्माताÓ भी कहा गया है।

अमत्र्य सेन (जन्म 1933)
अमत्र्य सेन को 1999 में अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वे हावर्ड विश्वविद्यालय में प्राध्यापक हैं। वे जादवपुर विश्वविद्यालय, दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी शिक्षक रहे हैं। सेन ने एम.आई.टी, स्टैनफोर्ड, बर्कली और कॉरनेल विश्वविद्यालयों में गेस्ट लेक्चरर के रुप में कार्य किया है।

पंडित रवि शंकर (1920-2012)
 पंडित रवि शंकर एक सितार वादक और संगीतज्ञ थे। जिन्हें 1999 में सम्मानित किया गया था।

जयप्रकाश नारायण- (1902-1979)
 'सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।Ó दिनकर की इन पंक्तियों से राजनीतिक बदलाव का आह्वान कर जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा सरकार की बुनियाद हिला दी थी। जयप्रकाश नारायण भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। उन्हें 1970 में इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। वे समाज-सेवक थे, जिन्हें 'लोकनायकÓ के नाम से भी जाना जाता है।

चिदंबरम सुब्रमण्यम (1910-2000)
चिदंबरम सुब्रमण्यम और एम एस सुब्बुलक्ष्मी को साल 1998 में यह सम्मान मिला।

एम एस सुब्बुलक्ष्मी- (1916-2004)
 मदुरै षण्मुखवडिवु सुब्बुलक्ष्मी कर्नाटक संगीत की मशहूर संगीतकार थीं। यह शास्त्रीय संगीत की दुनिया में एम. एस. अक्षरों से जानी जाती हैं। उन्हें 1998 में सम्मानित किया गया था।

अरुणा आसफ अली (1908-1996)
साल 1997 में एपीजे अब्दुल कलाम, गुलजारीलाल नंदा और अरुणा आसफ अली को यह सम्मान मिला।
अरुणा आसफ अली को 1942 मे भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान, मुंबई के गोवालीया मैदान में कांग्रेस का झंडा फहराने के लिए हमेशा याद किया जाता है।

गुलजारीलाल नंदा (1898-1998)
1997 में सम्मानित गुलजारीलाल नंदा भारतीय राजनीतिज्ञ थे। उनका जन्म सियालकोट, पंजाब, पाकिस्तान में हुआ था। वे 1964 में प्रथम भारतीय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के बाद भारत के प्रधानमंत्री बने। दूसरी बार लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद 1966 में यह कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने। इनका कार्यकाल दोनों बार उसी समय तक सीमित रहा जब तक की कांग्रेस पार्टी ने अपने नए नेता का चयन नहीं कर लिया।

एपीजे अब्दुल कलाम- (जन्म 1931)
1997 में सम्मानित अबुल पकिर जैनूलअबदीन अब्दुल कलाम भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति हैं। इन्हें 'मिसाइल मैनÓ भी कहा जाता है।

सत्यजीत रे (1922-1992)
1992 में सत्यजीत रे, जे आर डी टाटा और अबुल कलाम आजाद को यह सम्मान दिया गया।
सत्यजीत रे एक भारतीय फिल्म निर्देशक थे, जिन्हें 20वीं शताब्दी के सर्वोत्तम फिल्म निर्देशकों में गिना जाता है। इन्होंने अपने करियर की शुरुआत पेशेवर चित्रकार की तरह की।

जेआरडी टाटा- (1904-1993)
जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति थे। आधुनिक भारत की बुनियाद रखने वाली औद्योगिक हस्तियों में जे. आर. डी. टाटा का नाम सर्वोपरि है। इन्होंने ही देश की पहली वाणिज्यिक विमान सेवा 'टाटा एयरलाइंसÓ शुरू की थी, जो आगे चलकर भारत की राष्ट्रीय विमान सेवा 'एयर इंडियाÓ बन गई। इस कारण जे. आर. डी. टाटा को भारत के नागरिक उड्डयन का पिता भी कहा जाता है।

मौलाना अबुल कलाम आजाद- (1888-1958)
 मौलाना अबुल कलाम आजाद एक प्रसिद्ध भारतीय मुस्लिम विद्वान थे। वे कवि, लेखक, पत्रकार और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। भारत की आजादी के वाद वे एक महत्त्वपूर्ण राजनीतिक रहे। वे महात्मा गांधी के सिद्धांतों का समर्थन करते थे। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए कार्य किया, व वे अलग मुस्लिम राष्ट्र (पाकिस्तान) के सिद्धांत का विरोध करने वाले मुस्लिम नेताओं में से थे। खिलाफत आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। 1923 में वे भारतीय नैशनल कांग्रेस के सबसे कम उम्र के प्रेजिडेंट बने। वे 1940 और 1945 के बीच कांग्रेस के प्रेजिडेंट रहे। आजादी के वाद वे भारत के सांसद चुने गए और वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने।

मोरारजी देसाई (1896-1995)
साल 1991 में 3 हस्तियों को एक साथ भारतरत्न से नवाजा गया। इनमें मोरारजी देसाई, वल्लभभाई पटेल और राजीव गांधी थे।
मोरारजी देसाई भारत के छठे प्रधानमंत्री थे। वह प्रथम प्रधानमंत्री थे जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बजाय अन्य दल से थे। वही एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न एवं पाकिस्तान के सर्वोच्च सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित किया गया है। वह 81 वर्ष की आयु में प्रधानमंत्री बने थे। इसके पूर्व कई बार उन्होंने प्रधानमंत्री बनने की कोशिश की परंतु असफल रहे। लेकिन ऐसा नहीं है कि मोरारजी प्रधानमंत्री बनने के काबिल नहीं थे। वस्तुत: वह दुर्भाग्यशाली रहे कि वरिष्ठतम नेता होने के बावजूद उन्हें पंडित नेहरू और लालबहादुर शास्त्री के निधन के बाद भी प्रधानमंत्री नहीं बनाया गया। मोरारजी देसाई मार्च 1977 में देश के प्रधानमंत्री बने लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में इनका कार्यकाल पूर्ण नहीं हो पाया। चौधरी चरण सिंह से मतभेदों के चलते उन्हें प्रधानमंत्री पद छोडऩा पड़ा।

वल्लभ भाई पटेल- (1875-1950)
1991 में सम्मानित सरदार वल्लभ भाई पटेल नवीन भारत के निर्माता हैं। आजादी के बाद रियासतों का भारत से विलय कराने में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। भारत की आजादी के बाद वे प्रथम गृहमंत्री और उपप्रधानमंत्री बने। उन्हें भारत का 'लौह पुरूषÓ भी कहा जाता है।

राजीव गांधी (1944-1991)
1991 में सम्मानित राजीव गांधी, इंदिरा गांधी के बेटे और जवाहरलाल नेहरू के पौत्र थे। वे भारत के नौवें प्रधानमंत्री बने। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी भारी बहुमत के साथ प्रधानमंत्री बने थे। उसके बाद 1989 के आम चुनावों में कांग्रेस की हार हुई और पार्टी दो साल तक विपक्ष में रही। 1991 के आम चुनाव में प्रचार के दौरान तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक भयंकर बम विस्फोट में राजीव गांधी की मौत हो गई थी।


नेल्सन मंडेला (जन्म 1918)
बीआर अंबेडकर और नेल्सन मंडेला को 1990 में भारतरत्न मिला।
नेल्सन मंडेला को अफ्रीका का गांधी भी कहते हैं। दक्षिण अफ्रीका के भूतपूर्व राष्ट्रपति हैं। मंडेला यहां के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने थे। राष्ट्रपति बनने से पहले दक्षिण अफ्रीका में सदियों से चल रहे अपार्थीड के प्रमुख विरोधी अफ्रीकी नैशनल कांग्रेस एवं इसके सशस्त्र गुट उमखोंतो वे सिजवे के अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने अपनी जिंदगी के 27 वर्ष रॉबेन द्वीप पर कारागार में रंगभेद नीति के खिलाफ लड़ते हुए बिताए।

डॉ. भीमराव अंबेडकर- (1891-1956)
1990 में सम्मानित डॉ. भीमराव अंबेडकर एक भारतीय ज्यूरिस्ट थे। वे एक बहुजन राजनीतिक नेता, और एक बौद्ध पुनरुत्थानवादी होने के साथ साथ, भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार भी थे। उन्हें बाबासाहेब के लोकप्रिय नाम से भी जाना जाता है। बाबासाहेब अंबेडकर ने अपना सारा जीवन हिंदू धर्म की चतुवर्ण प्रणाली, और भारतीय समाज में सर्वव्यापित जाति व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष में बिता दिया।

एम जी रामचंद्रन (1917-1987)
1988 में सम्मानित तमिलनाडु की क्षेत्रीय पार्टी एआईएडीएमके का गठन करने वाले एम जी रामचंद्रन मशहूर फिल्म अभिनेता भी रहे हैं। 1977 में वे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने। वर्तमान में जयललिता इनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। रामचंद्रन को 1988 में भारतरत्न सम्मान मिला।

खान अब्दुल गफ्फार खान (1890-1988)
खान अब्दुल गफ्फार खान को 1987 में भारतरत्न सम्मान मिला। खान पाकिस्तान के बलूचिस्तान क्षेत्र के एक बड़े राजनेता थे, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और अपने कार्य और निष्ठा के कारण 'सरहदी गांधीÓ (सीमांत गांधी), 'बच्चा खांÓ व 'बादशाह खानÓ के नाम से पुकारे जाने लगे। वे भारतीय उपमहाद्वीप में अंग्रेज शासन के खिलाफ अहिंसा के प्रयोग के लिए जाने जाते हैं। एक समय उनका लक्ष्य संयुक्त, स्वतंत्र और धर्मनिरपेक्ष भारत था। इसके लिए उन्होंने 1920 में खुदाई खिदमतगार नाम के संगठन की स्थापना की। यह संगठन 'सुर्ख पोशÓ के नाम से भी जाना जाता है

विनोबा भावे (1895-1982)
आचार्य विनोबा को 1983 में भारतरत्न सम्मान मिला। भावे को भारत का राष्ट्रीय आध्यापक और महात्मा गांधी का आध्यात्मिक उत्तराधिकारी समझा जाता है। उन्होंने अपने जीवन के आखिरी वर्ष पुनार, महाराष्ट्र के आश्रम में गुजारे। इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल को अनुशासन पर्व कहने के कारण वे विवाद में भी थे।

मदर टेरेसा (1910-1997)
मदर टेरेसा को 1980 में यह सम्मान मिला। मदर टेरेसा का जन्म अग्नेसे गोंकशे बोजशियु के नाम से एक अल्बेनीयाई परिवार में उस्कुब, ओटोमन साम्राज्य (आज का सोप्जे, मेसेडोनिया गणराज्य) में हुआ था। मदर टेरसा रोमन कैथलिक नन थीं, जिनके पास भारतीय नागरिकता थी। उन्होंने 1950 में कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चेरिटी की स्थापना की। 45 सालों तक गरीब, बीमार, अनाथ लोगों की मदद की।

के. कामराज (1903-1975)
के कामराज या कुमारास्वामी कामराज को 1976 में भारत रत्न मिला। कामराज भारत के राज्य तमिलनाडु के प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ थे। भारत के 2 प्रधानमंत्री, लालबहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के चुनावों में उनका महत्वपूर्ण योगदान था।

वी वी गिरी (1894-1980)
 वी वी गिरी भारत के चौथे राष्ट्रपति रहे। गिरी को 1975 में यह सम्मान मिला।

इंदिरा गांधी (1917-1984)
 इंदिरा गांधी को 1971 में भारत रत्न मिला। इंदिरा साल 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के लिए भारत की प्रधानमंत्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं हैं।

लाल बहादुर शास्त्री (1904-1966)
भारत की स्वतंत्रता के पश्चात लाल बहादुर शास्त्री को 1966 में यह सम्मान मिला। शास्त्री उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। गोविंद वल्लभ पंत के मंत्रिमंडल में उन्हें पुलिस एवं परिवहन मंत्रालय सौंपा गया। परिवहन मंत्री के कार्यकाल में उन्होंने पहली बार महिला कंडक्टर्स की नियुक्ति की थी। पुलिस मंत्री होने के बाद उन्होंने भीड़ को नियंत्रण में रखने के लिए लाठी की जगह पानी की बौछार का प्रयोग शुरू कराया। 1951 में, जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में वह अखिल भारत कांग्रेस कमिटी के महासचिव नियुक्त किए गए। उन्होंने 1952, 1957 व 1962 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी को भारी बहुमत से जिताने के लिए बहुत परिश्रम किया। जवाहरलाल नेहरू का उनके प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान 27 मई, 1964 को देहांत हो जाने के बाद साफ सुथरी छवि के कारण शास्त्रीजी को 1964 में देश का प्रधानमंत्री बनाया गया था।

पांडुरंग वामन काणे (1880-1972)
 साल 1963 में पांडुरंग वामन काणे और डॉक्टर जाकिर हुसैन को यह सम्मान दिया गया। डॉ. काणे अपने लंबे जीवनकाल में समय-समय पर उच्च न्यायालय, बंबई में अभिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय, दिल्ली में वरिष्ठ अधिवक्ता, एलफिंस्टन कॉलेज, बंबई में संस्कृत विभाग के प्राचार्य व सन् 1953 से 1949 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे।

डॉक्टर जाकिर हुसैन (1897-1969)
1963 में सम्मानित डॉक्टर जाकिर हुसैन भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे। केवल 23 वर्ष की उम्र में डॉ. हुसैन 'जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालयÓ की स्थापना दल के सदस्य बने। जाकिर हुसैन भारत के तीसरे राष्ट्रपति तथा प्रमुख शिक्षाविद् थे।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद (1884-1963)
 डॉ. राजेंद्र प्रसाद को 1962 में यह सम्मान मिला। वह भारत के पहले राष्ट्रपति थे। वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था जिसकी परिणति 26 जनवरी 1950 को भारत के एक गणतंत्र के रूप में हुई थी।

 पुरुषोत्तम दास टंडन (1882-1962)
पुरुषोत्तम दास टंडन और डॉ. बिधान चंद्र राय को 1961 में भारत रत्न का सम्मान दिया गया।
पुरुषोत्तम दास टंडन भारत के स्वतंत्रता सेनानी थे। हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा के पद पर प्रतिष्ठित करवाने में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान था। वे भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के अग्रणी पंक्ति के नेता तो थे ही, समर्पित राजनयिक, हिंदी के अनन्य सेवक, कर्मठ पत्रकार, तेजस्वी वक्ता और समाज सुधारक भी थे। 1950 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने।

डॉ. बिधान चंद्र राय (1882-1962)
 डॉ. बिधान चंद्र राय चिकित्सक, स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री थे, 14 जनवरी 1948 से मृत्यु तक 14 वर्ष वे इस पद पर थे। उन्होंने कलकत्ता विश्वविघालय के कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। उनके जन्मदिन 1 जुलाई को भारत में चिकित्सक दिवस के रुप में मनाया जाता है।

महर्षि डॉ. धोंडो केशव कर्वे (1858-1962)
1958 में भारतरत्न से सम्मानित महर्षि डॉ. धोंडो केशव कर्वे प्रसिद्ध समाज सुधारक थे। उन्होंने महिला शिक्षा और विधवा विवाह में महत्त्वपूर्ण योगदान किया। कर्वे ने अपना जीवन महिला उत्थान को समर्पित कर दिया। उनके द्वारा मुंबई में स्थापित एसएनडीटी महिला विश्वविघालय भारत का प्रथम महिला विश्वविघालय है। वे वर्ष 1891 से वर्ष 1914 तक पुणे के फग्र्युसेन कॉलेज में गणित के अध्यापक थे।

गोविंद वल्लभ पंत (1887-1961)
 1957 में सम्मानित गोविंद वल्लभ पंत मशहूर स्वतंत्रता सेनानी और उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे। अपने संकल्प और साहस के धनी पंत सरदार वल्लभ भाई पटेल के निधन के बाद वे भारत के गृह मंत्री बने।

जवाहरलाल नेहरू (1889-1964)
साल 1955 में एक बार फिर 3 हस्तियों को इस सम्मान से नवाजा गया। इनमें जवाहरलाल नेहरू, मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया और डॉक्टर भगवान दास थे।
भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी थे। जवाहर लाल नेहरू, संसदीय सरकार की स्थापना और विदेशी मामलों में 'गुटनिरपेक्षÓ नीतियों के लिए विख्यात हुए। 1930 और 1940 के दशक में भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से वह एक थे।

सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया (1861-1962)
1955 में भारतरत्न से सम्मानित सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया भारत के महान अभियंता (इंजिनियर) एवं राजनयिक थे। भारत में उनका जन्म दिन अभियंता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

डॉक्टर भगवानदास (1869-1958)
1955 में भारतरत्न से सम्मानित डॉक्टर भगवानदास शिक्षाशास्त्री, स्वतंत्रता सेनानी, दार्शनिक व कई संस्थाओं के संस्थापक रहे। उन्होंने डॉक्टर एनी बेसेंट के साथ व्यवसायी सहयोग किया, जो बाद में सेंट्रल हिंदू कॉलेज की स्थापना का मुख्य कारण बना। सेंट्रल हिंदू कॉलेज, काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना का मूल है। बाद में उन्होंने काशी विद्यापीठ की स्थापना की और वहां प्रमुख अध्यापक भी रहे। डॉक्टर भगवान दास ने हिंदी और संस्कृत में 30 से भी अधिक पुस्तकों का लेखन किया है।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1888-1975)
देश में पहली बार भारत रत्न 1954 में एक साथ तीन विभूतियों को दिया गया था। यह सम्मान डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, चंद्रशेखर वेंकट रमन, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी को दिया गया।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के पहले उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति रहे। इनका जन्मदिन (5 सितम्बर) भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक थे। भारत सरकार ने पहउन्हें सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया था।

चंद्रशेखर वेंकट रमन (1888-1970)
 नोबेल पुरस्कार से सम्मानित महान वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकट रमन का जीवन भारत व समूचे विश्व के वैज्ञानिक को एक अनूठा आदर्श प्रदान करता है। बेहद मेधावी सी वी रमन ने अपने सतत अनुसंधान से 'रमन प्रभावÓ की खोज की और उनका नाम नोबेल पुरस्कार के लिए चुन लिया गया। 1930 में नोबेल पुरस्कार पाने वाले वे दूसरे भारतीय थे। उन्हें 1954 में भारतरत्न से सम्मानित किया गया था।

चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (1878-1972)
1954 में भारतरत्न से सम्मानित चक्रवर्ती राजगोपालाचारी वकील, लेखक, राजनीतिज्ञ और दार्शनिक थे। राजगोपालाचारी स्वतंत्र भारत के द्वितीय गवर्नर जनरल और प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल थे। 10 अप्रैल 1952 से 13 अप्रैल 1954 तक वे मद्रास प्रांत के मुख्यमंत्री रहे। वे दक्षिण भारत के कांग्रेस के प्रमुख नेता थे लेकिन बाद में वे कांग्रेस के प्रखर विरोधी बन गए व स्वतंत्र पार्टी की स्थापना की।
राजगोपालाचारी गांधीजी के समधी भी थे। (राजाजी की बेटी लक्ष्मी का विवाह गांधीजी के बेटे देवदास गांधी से हुआ था।) उन्होंने दक्षिण भारत में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए बहुत कार्य किया।

सुशील भोले
म.नं. 54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल -  sushilbhole2@gmail.com

Monday 22 December 2014

कुर्मी समाज के आयोजन में कवि सम्मेलन....

छत्तीसगढ़  कुर्मी महासभा  के दो दिवसीय महाधिवेशन के अंतर्गत शनिवार 20 दिसंबर 2014 को संध्या 7 बजे से विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सुशील भोले के संयोजन में संपन्न उक्त कवि सम्मेलन में डा. विश्वंभर प्रसाद चंद्रा, डा. जय भारती चंद्राकर, चोवाराम वर्मा बादल, नरेन्द्र वर्मा, परसराम चंदाकर, आदि कवियों ने उपस्थित श्रोताओं से देररात तक तालियां बटोरी।




Friday 19 December 2014

पुरखौती मुक्तांगन में...

छत्तीसगढ़ की नई राजधानी स्थित पुरखौती मुक्तांगन में एक दिन.....








Thursday 18 December 2014

भोले के गोले..

भोले के गोले, भेद सब के खोले
लबरा-बइमान मनला, नंगत के छोले...
कोनो गोठियाथे मीठ-मीठ
फेर चरित्तर होथे सिट-सिट
ये तो दवई कस घेक्खर हे
हरदम करू-कस्सा बोले.. भोले के...
सोना ह तप के बनथे जी कुंदन
घिसे-पेराये म माथ सजथे चंदन
येकरे सेती काहत हे ये सुशील भोले
जतका दागी-दगहा हे बने अस धोले.. भोले के...
सुशील भोले 
म.नं. 54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811

Wednesday 17 December 2014

घर वापसी और वर्ण व्यवस्था....

(मेरे फेसबुक वाल से)
घर वापसी और वर्ण व्यवस्था....
देश के कई हिन्दुत्ववादी संगठन अभी घर वापसी, मतलब जो लोग हिन्दू धर्म से अन्य धर्म में चले गये हैं उनको वापस हिन्दू धर्म में लाने का अभियान चलाये हुए हैं।
मैं व्यक्तिगत रूप से इस घर वापसी कार्यक्रम का स्वागत करता हूं, लेकिन साथ ही यह प्रश्न भी पूछना चाहता हूं, कि जिन लोगों को हिन्दू धर्म में वापस लाया जा रहा है, उन्हें किस वर्ण में शामिल किया जा रहा है? क्योंकि ये लोग या इनके पुरखे इसी वर्ण व्यवस्था से व्यथित होकर ही तो अन्य धर्मों की ओर गये होंगे। मैं घर वापसी के इस अभियान में मुखियाई कर रहे लोगों से जानना चाहता हूं कि क्या वे इन लोगों के साथ रोटी-बेटी का संबंध भी रखेंगे या फिर से शूद्रों की अपमान दायक पीड़ा में इन्हें झोंक देेंगे?
* सुशील भोले *
  • आप, C.n. Chalu RamnagarSuresh SoniNisar Ali और 16 और को यह पसंद है.
  • Nikesh Pratap Deo सीधी सी बात है सर....जिन्होंने भी धर्म परिवर्तनकिया होगा उनके पूर्वज भी रहे होंगे,और वो कहा से हैं ,किस वर्गसे हैं ये जानते होंगे। इसमें प्रश्न वाली कोई बातही नही है....जिस वर्ग से गये होंगे उसी में वापस आयेंगे,अपनेरिश्तेद्रो से मिलेंगे ,सम्बन्धियों से मिलेंगे औरअपनी जिन्दगी जियेंग
  • Kavi Sushil Bhole निकेश भाई ये मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं है...
  • Nikesh Pratap Deo आपने यही तो पूछा न किस वर्ण में शामिल किया जा रहा
  • Kavi Sushil Bhole हा हा हा...समझिये...
  • Nikesh Pratap Deo भाई आप कुछ बता सकते हैं इन्हें Govind Bharat
  • Dinesh Sahu manushaya swatantra hai ki wah kaun si rah me jana chahega.
  • Parshu Ram Chaturvij अस्सी के दशक में जब खालिस्तान का मुद्दा गरम था तब ऐसी ही एक घटना हमारे क्षेत्र में हुई थी ! बेमेतरा जिले के नवागढ़ क्षेत्र में ! एक दो गावं के कुछ दलित परिवारों को बरगला कर सिक्ख धर्म ग्रहण करा दिया गया था ! वो लोग खुद के समाज से बाहर तो हुए ही , उनके द्वारा अपनाये गए धर्म के लोगों ने भी उनसे कोई रिश्ता नहीं रखा ! वे हंसी के पात्र बन गए और उनकी हालत देखते बनती थी ! वर्तमान में उनका क्या हाल है नहीं पता !
  • Parshu Ram Chaturvij इन्हे इससे क्या मतलब ! ये तो अपना काम कर दूसरी माकूल जगह चले जाएंगे और फिर यही खेल खेलेंगे ! रह जाएंगे धर्मान्तरित लोग और उनके परिवार और उनकी स्थिति "धोबी का कुत्ता ,न घर का न घाट का "सदृश्य हो जायेगी !
  • Kavi Sushil Bhole धन्यवाद परशु जी...
  • Nikesh Pratap Deo जिन्हें आना है वो आयेंगे....जिन्हें नही आना वो नही आयेंगे। पर कभी ये भी पूछ लीजियेगा उनसे के मुस्लिमों में वो किस वर्ग में गये हैं
  • Vijay Patel सही बात कही आपने
  • Kavi Sushil Bhole धन्यवाद भाई
  • Smt Kundan Singh नो कमेन्ट्स शुभ दोपहरी
  • Kavi Sushil Bhole
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