Friday 7 February 2014

राज्यपाल से सम्मानित कृषक शोभाराम साहू





धान कटोरा के नाम से विख्यात छत्तीसगढ़ को उसके नाम के अनुरूप बनाने में यहां के परिश्रमी कृषकों का मुख्य योगदान है। इन कृषकों ने यहां की धरती को सोना उगलने वाली धरती के रूप में प्रतिष्ठित किया है। छत्तीसगढ़ के ऐसे ही मेहनती कृषकों में एक नाम और जुड़ गया है। ये हैं राज्यपाल से सम्मानित कृषक शोभाराम साहू।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ऐतिहासिक ग्राम चंपारन (चंपेश्वर महादेव स्थल, महाप्रभु वल्लभाचार्य जन्म स्थली) में महानदी की जलधारा के समीप अपने कृषि फार्म में यहां की प्रमुख फसल धान के साथ ही साथ विभिन्न प्रकार की सब्जियों का उत्पादन कर अन्य कृषकों के लिए मार्गदर्शक का कार्य कर रहे हैं।

17 अप्रेल 1972 को एक सामान्य कृषक परिवार में जन्मे शोभाराम साहू 1993 में मात्र 1 एकड़ खेत से अपने कृषक जीवन की शुरूआत किये हैं। आज ये 22 एकड़ में धान, 3 एकड़ में भाटा, 2 एकड़ में करेला, 1 एकड़ में सेमी, 1 एकड़ में मिर्ची, आधा एकड़ में प्याज, 1 एकड़ में टमाटर और जमीन के अलग-अलग कुछ हिस्सों पर गेंदा-गुलाब जैसे फूलों के साथ ही साथ पपीता, केला, गन्ना और नारियल आदि का उत्पादन ले रहे हैं।

स्व. श्रीमती कृष्णा देवी एवं मोतीराम साहू के पुत्र के रूप में जन्मे शोभाराम का कहना है कि उनको अपने उपज को बेचने के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता। उनका सभी उत्पाद समीप के नवापारा-राजिम में ही उठ जाता है। शोभाराम कहते हैं कि 10 एकड़ में धान की खेती करने पर हमें जितना मुनाफा होता है, उतना ही मुनाफा मात्र 1 एकड़ में सब्जी की फसल लेने से हो जाता है।

उनका कहना है कि जिन कृषक भाइयों के पास 10 एकड़ खेत है, उन्हें कम से कम 1 एकड़ भूमि में आवश्यक रूप से सब्जी की फसल लेना चाहिए। इससे उनका मुनाफा तो बढ़ेगा और साथ ही फसल चक्र परिवर्तन के रूप में होने वाला लाभ भी मिलेगा।

किसान अक्सर मजदूरों की समस्या का रोना रोते हैं, लेकिन शोभाराम का कहना है कि उन्हें आज तक कभी भी मजदूरों की कमी नहीं हुई। इसका कारण पूछने पर वे कहते हैं- मैं मजदूरों को उचित मजदूरी देने के साथ ही साथ अपनापन का अहसास भी कराता हूं। उनके साथ मेरा संबंध या व्यवहार वैसा ही है, जैसे अपने परिजनों के साथ होता है। यही मुख्य कारण है कि मुझे मजदूरों की समस्या से नहीं जुझना पड़ता। मजदूरों का रोना वे लोग रोते हैं, जो मजदूरों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं।

शोभाराम अपनी संतानों को भी सफल कृषक बनाने पर जोर देते हैं। उनका कहना है कि उनकी दोनों संतान अभी शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। 18 वर्षीय पुत्री नीलम और 16 वर्षीय पुत्र ललित को वे अभी केवल शिक्षाअर्जन तक ही रखना चाहते हैं, लेकिन जैसे ही शिक्षा पूर्ण होगी उन्हें भी वे अपने ही जैसे सफल कृषक के रूप में देखना चाहते हैं।
शोभाराम पूर्व में कृषि उपज मंडी में उपाध्यक्ष के पद को सुशोभित कर चुके हैं। इसी तरह उनकी पत्नी श्रीमती सियाबाई साहू भी जनपद सदस्य के रूप में कार्य कर चुकी हैं।

सामाजिक स्तर पर अपने समाज के परिक्षेत्र अध्यक्ष के पद पर आसीन शोभाराम का कहना है कि शासन द्वारा किसानों के हित में अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनका उन्हें उचित लाभ लेना चाहिए। लेकिन वे स्वयं आज तक ऐसी किसी भी शासकीय योजना का लाभ नहीं लिए हैं। उनका कहना है कि आज तक वे जो कुछ भी किये हैं अपने ही बलबुते पर किये हैं।

हम उनके खेतों पर स्थित झोपड़ी में जिस समय पहंचे उसी समय वहीं पर उगे नारियल के पेड़ से दो-तीन फल एकसाथ गिर पड़े। मैंने मजाक के लहजे में पूछा कि क्या ये हमारे सम्मान में टपक पड़े हैं, तो उन्होंने बताया कि नारियल के जिस फल में गैस की मात्रा अधिक हो जाती है, वह इसी तरह समय से पहले ही गिर जाता है। आधुनिक तकनीक पद्धति से कृषि कार्य कर रहे शोभाराम जी ने हमें उन नारियलों को काटकर उसका पानी पिलाये और हमें विदा किये।

सुशील भोले 
म.नं. 54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल -   sushilbhole2@gmail.com

No comments:

Post a Comment