Monday 26 May 2014

तीन मुक्तक..

               * 1 *
शंख ध्वनियां गूंज उठीं दिल्ली के दरबार
चारों दिशाएं गा रहीं नमो-नमो सरकार 
तब छत्तीसगढ़ भी अपने स्वर में गा रहा है गान
अब तो दे दो छत्तीसगढ़ी को भाषा का सम्मान 
भाषा का सम्मान यह अधिकार हमारा 
फिर कण-कण गाएगा गुणगान तुम्हारा।
                                              * सुशील भोले 

***
              *  2 *
खूब दहाड़ें मार रहे थे सत्ता के गलियारों में
अच्छे दिन भी लेकर आओ जन-गण के द्वारों में
हमने सुना है बरसता नहीं, कभी भी ऐसा बादल
जो गरज कर उड़ जाता है हवा के संग बयारों में

                                                     * सुशील भोले
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                * 3 *
निष्क्रियता के आरोप म लट्टे-पट्टे जीतीस चुनाव
फेर दिल्ली दरबार ले वोला नइ मिलिस एक्को भाव
नइ मिलिस एक्को भाव, हाय मोर सिधवा चेंदवा
भोंदू-बपरा जान सब झन, देखा देइन तोला ठेंगवा
                                                     * सुशील भोले 

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