Tuesday 5 August 2014

जिनगी....














सोना जिनगी चांदी जिनगी, जिनगी हीरा-मोती ये
दुनिया भर के पूंजी-पसरा, इही हमर पुरखौती ये....

हमरे देंह म सुख अउ दुख, भवसागर के बासा हे
हरदम रंग देखाथे अलगे, जब तक एमा स्वांसा हे
इही सरग के सिढिय़ा ये, अउ नरक के घलो मुहाटी ये....

अब तो करम के गठरी खोल, कब तक रे बांधे रहिबे
अपने स्वारथ के खातिर, कब तक दुनिया ल चरबे
परमारथ के कारज कर ले, ये परमानंद के जोती ये.....

सुशील भोले 
म.नं. 54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल -  sushilbhole2@gmail.com

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