Tuesday 13 January 2015

सोसन

बछरु ह 
एक दिन गाय जघा पूछिस-
दाई...
शोषण काला कहिथे...?
त... गाय कहिस -
बेटा...
तैं ह....
खूंटा म बंधाये
जुच्छा पैरा ल पगुरावत रहिथस
अउ
हमर मालिक ह
मोर थन के दूध ल दुह के
अपन बेटा ल पियाथे
इही ल तो शोषण कहिथे।
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शोषण 
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बछड़े ने
एक दिन गाय से पूछा -
माँ
शोषण कहते किसे हैं
गाय ने कहा -
तुम खूँटे में बँधे-बँधे ख़ाली पुआल को पगुराते रहते हो
और मालिक
मेरे थन से सारा-का-सारा दुध दुहकर
अपने बेटे को पिलाता है
यही तो शोषण कहलाता है ।
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- मूल छत्तीसगढ़ी - सुशील भोले 
- अनुवाद - जयप्रकाश मानस
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