Wednesday 4 February 2015

बने करे बसंत....












बने करे धरती म उतर आये बसंत
कतकों के दुख-पीरा मिटा दिये बसंत

ओ जाड़ के महीना टोर देथे तन ल
बिन पानी के चिभोर देथे मन ल
ठउका आयेस ठुनठुनी के कर दिए अंत... बने करे...
*सुशील भोले*

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