Tuesday 17 March 2015

आ जुड़ा ले....



















आ जुड़ा ले थोर सुरता ले घन आमा के छांव
सरी मंझनिया रस्ता रेंगबे त चट ले जरही पांव
का बात के जल्दी हावय कोन अगोरत हे तोला
हांस-गोठिया ले हमरो संग नइ छूटय तोर गांव
*सुशील भोले*

No comments:

Post a Comment