Tuesday 31 March 2015

चैत के घाम...
















चट ले जरथे अब चैत के घाम
कोइला कस हो जाथे देंह के चाम
नाक-कान-मुड़ी ल कतकों तैं तोप
बेरा के ताप म नइ लागय लगाम

*सुशील भोले*

1 comment:

  1. घाम ले बांचे बर ओहर काय ओढ़े हे भाई ।

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