Thursday 30 April 2015

21 वर्षों से प्यासे कंठ की प्यास बुझा रहे हैं चम्पूलाल...



सूर्य देव इन दिनों एकदम आक्रामक मुद्रा में नजर आ रहे हैं। मई के इस महीने में ग्रीष्म की तपन ने लोगों को बेचैन कर दिया है। इंसान तो इंसान पशु-पक्षियों की भी बेचैनी बढ़ा दी है। ऐसे में यदि कोई शख्स पानी की बहुत सारी बोतलें अपनी सायकल में लादे आपके सामने हाजिर हो जाये तो आपको आश्चर्य होने की जरुरत नहीं।

यह शख्स कंठ की प्यास बुझा रहा है। छत्तीसगढ़ के नव-व्यावसायिक नगरी के रूप में प्रसिद्ध नवापारा-राजिम के कसेर पारा निवासी चम्पूलाल कंसारी, जो भरी गर्मी में घूम-घूम कर लोगों को पानी पिलाने का पुण्य कार्य कर रहे हैं नि:स्वार्थ भाव से।

प्यासे कंठ को ठंडा पानी मिल जाये तो उसकी आत्मा तृप्त हो जाती है। जल की शीतलता ग्रीष्म की तपन को कम कर देती है। राह चलते हुए राहगीर कुली, रेजा, हमाल चम्पूलाल कंसारी का बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं। आसमान से आग की बारीश इरादों के आगे नतमस्तक हो जाती है। भीषण गर्मी में पानी की एक बूंद अमृत की तरह होती है।

विगत् 18 वर्षों से पानी पिलाने का पुण्य कार्य करने वाले चम्पूलाल कंसारी बताते हैं कि उनके एक परम मित्र के भाई की मौत 21 साल पूर्व भीषण गर्मी की वजह से पानी न मिलने के कारण प्यास से हुई थी। इस घटना ने मुझे झकझोर कर रख दिया था। तब से लेकर अब तक मैंने लोगों को पानी पिलाने का संकल्प लिया है जो आगे भविष्य में भी जारी रहेगा। इससे मुझे काफी खुशी होती है, आत्मिक सुकुन मिलता है। नगर के रेल्वे स्टेशन, सब्जी मंडी, पुराना बस स्टैण्ड, लोमश ऋषि आश्रम, गांधी चौक सहित नगर के व्यस्ततम चौक चौराहे में खड़े होकर लोगों को ठंडा शीतल जल पिलाते हैं।

चम्पूलाल कंसारी आगे कहते हैं कि यह एक ऐसी सेवा है जिसमें धन लगाने की कोई जरुरत नहीं पड़ती। पानी तो प्रकृति की अनमोल धरोहर है, तभी तो जल को जल ही जीवन कहा गया है। नि:स्वार्थ भाव से किया गया प्रत्येक कार्य खुदा की इबादत की तरह होता है।

पिछले दिनों चम्पूलाल कंसारी ने विधानसभा परिसर में प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से मुलाकात कर उन्हें ठंडा पानी पीने का बाटल भेंट किया। डॉ. रमन सिंह ने इस अनूठी भेंट के लिए चम्पूलाल कंसारी को धन्यवाद देते हुए उनके इस पुण्य कार्य की प्रशंसा की। इनके साथ ही कई विशिष्टजनों कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, पूर्व मंत्री चंद्रशेखर साहू, अशोक बजाज अध्यक्ष अपेक्स बैंक के अलावा अनेक लोगों ने इनके इस पुनित कार्य की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए चम्पूलाल कंसारी को धन्यवाद दिये हैं।

हमारी दिली इच्छा है कि चम्पूलाल कंसारी के इस यह पुनीत कार्य को  सभी लोग जानें और उसके रास्ते पर आगे बढ़ें। साथ ही उनका नाम लिम्का बुक जैसे रिकार्ड बुक में दर्ज हो जाये। 

Wednesday 29 April 2015

सुन माटी के काया...














सुन माटी के काया तैं फेर आबेच मोरे तीर
भले दिखत हे आज चुक ले तोर सुघ्घर शरीर
फेर काल के परही जब एला सोंटा-सटका
लरी-लरी अंग-अंग हो जाही अंतस जाही चीर

सुशील भोले 
मो. 80853-05931, 98269-92811

Tuesday 28 April 2015

कइसे होवन सजोर....


















रस्ता रेंगत जिनगी खिरगे फेर एकर तो ओर न छोर
बस चारोंमुड़ा कांटा-खूंटी, भुइयां हावय घलो कठोर
सोना-चांदी के आस रिहिस फेर भांठा ये निच्चट पटपर
तब कइसे उपजय मया के खेती कइसे होवन सजोर

सुशील भोले 
मो. 80853-05931, 98269-92811

Saturday 25 April 2015

प्यासा पनघट पर बैठा है...
























ताल-तलैये सूख गये, नदियों की भी यही कहानी
प्यासा पनघट पर बैठा है, भरकर आंखों में पानी
कोई भगीरथ बन वापस लाओ, सूखे जलस्रोतों को
जीव-जंतु में आ जाये फिर, जीवन की नई रवानी

सुशील भोले 
मो. 80853-05931, 98269-92811

Friday 24 April 2015

बाढ़े बेटी के बिदा करत....

















झर-झर आंसू झरथे, हिरदे धक ले करथे
बाढ़े बेटी के बिदा करत मन-अंतस ह जरथे
कइसे नेंग बनाये हावय, ये बैरी समाज ह
दाई-ददा के छाती ल बस कूटा-कूटा करथे

सुशील भोले 
मो. 80853-05931, 98269-92811

Thursday 23 April 2015

फर्जी आईडी बना-बना के....












फेसबुक म आगे हावय अलगे नारी के जात
फर्जी आईडी बना-बना के करत रहिथें बात
टूरा घलो मन पाछू नइयें खापे हवंय मुखौटा
बनके टूरी उन कतकों ल जगाथें सरी रात

सुशील भोले 
मो. 80853-05931, 98269-92811

Wednesday 22 April 2015

धरती दाई कलपत हावय....














धरती दाई कलपत हावय झन उजारौ रे कोरा
आगी ढिलहू जंगल म तब तुंहरो परही फोरा
देख मौसम के चाल बदलगे, तुंहरे करनी आय
ठन-ठन भुइयां म लहुटत हे सुघ्घर धान कटोरा

सुशील भोले 
मो. 80853-05931, 98269-92811

पुतरा-पुतरी के बिहाव....

हमर घर म नोनी यामिनी, छोटी, परी अउ रेणु अक्ति के दिन पुतरा-पुतरी के बिहाव करीन। पारा भर के नोनी अउ माईलोगिन मन टिकावन टीक के उनला आशीर्वाद देइन....


Tuesday 21 April 2015

कोई आतंकी....














सन्नाटा पसरा है क्यों, फिर से मेरे गांव में
कोई आतंकी घुसा है, क्या अमराई छांव में...

सरहद पर शैतान खड़ा है, बना हुआ पड़ोसी
देश के कई गद्दारों की वह करता है ताजपोशी
वे ही छद्मवेशी, रक्त बहाते हैं इस ठांव में... कोई आतंकी...

कई रूपों में विचर रहे हैं देखो रक्त-पिपासु
कहींंं नक्सली अलगाववादी रुला रहे हैं आंसू
बिछे हैं धर्म-भेदों के कांटे, चुभ रहे हैं पांव में... कोई आतंकी...

कहीं गरीबी-अशिक्षा को, बनाते हैं हथियार
राजनीति की कई धाराओं के वे ही खेवनहार
सत्य कहीं फिर छुप जाता है झूठ के कांव-कांव में..कोई आतंकी...

सुशील भोले 
म.नं. 54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल -   sushilbhole2@gmail.com

Sunday 19 April 2015

अक्ति आगे....










अक्ति आगे घाम ठठागे चलव जी मूठ धरबो
हमर किसानी के शुरुवात सुम्मत ले सब करबो
बइगा बबा पूजा करके पहिली सबला सिरजाही
फेर पाछू हम ओरी-ओरी बिजहा ल ओरियाबो
सुशील भोले 
मो. 80853-05931, 98269-92811

Saturday 18 April 2015

कौशल्या जन्मभूमि...

 कौशल्या मंदिर प्रवेशद्वार

मंदिर परिसर में बेर पेड़ के नीचे गिद्धराज जटायू की प्रतिमा...

कौशल्या मंदिर का प्रांगण...

 मंदिर का गर्भगृह ..माता कौशल्या की गोद में भगवान राम की प्रतिमा..

गर्भगृह में लेखक सुशील भोले एवं मित्र चोवाराम वर्मा

मंदिर परिसर में सीताफल का पेड़ जो मनोकामना नारियल बांधने का काम आ रहा है..

मंदिर परिसर में भगवान महादेव एवं नंदी की भव्य प्रतिमा...

भगवान राम की माता कौशल्या की जन्मभूमि के संबंध में अलग-अलग विद्वानों की अलग-अलग राय है। कई उनकी जन्मभूमि छत्तीसगढ़ प्रदेश के बिलासपुर जिला के अंतर्गत ग्राम कोसली को कहते हैं, तो कई दक्षिण कोसल की राजधानी श्रीपुर (वर्तमान सिरपुर) को, और उसके संबंध में यह तर्क देते हैं कि चूंकि कौशल्या कोसल प्रदेश की राजकन्या थी इसलिए उसकी राजधानी में ही उसका जन्म हुआ होगा। लेकिन अधिकांश लोग रायपुर जिला के ग्राम चंदखुरी की पूर्व दिशा में स्थित तालाब के बीच में निर्मित प्राचीन कौशल्या मंदिर को ही कौशल्या जन्म स्थल के रूप में स्वीकार करते हैं।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से पूर्व दिशा में लगभग 30 कि. मी. की दूरी पर स्थित चंदखुरी ग्राम के तालाब में स्थित कौशल्या मंदिर संभवत: देश का एकमात्र कौशल्या मंदिर है। मंदिर के गर्भगृह में माता कौशल्या की गोद में भगवान राम की प्रतिमा है। यहां प्राचीन समय से ही दोनों नवरात्र के समय ज्योति कलश की स्थापना की जाती है। आज से पंद्रह-बीस वर्ष पूर्व यह स्थल उजाड़ और उपेक्षित स्थल के रूप में दिखाई देता था। लेकिन आज यह बहुत ही सुंदर तीर्थ स्थल के रूप में विकसित हो चुका है।

आज से लगभग 20 वर्ष पूर्व जब हम वहां गथे थे, तब वहां तक जाने के लिए कोई रास्ता नहीं था। मंदिर तालाब के बीच में स्थित होने के कारण वहां तक तैर कर जाना होता था। नवरात्र के समय में ग्रामवासी वहां तक जाने के लिए लकड़ी का पुल (चैली) बना दिया करते थे। आज करीब 20 वर्षों के बाद वहां जाना हुआ, तब उसका विकसित रूप देखकर सुखद आश्चर्य हुआ।

सुशील भोले 
म.नं. 54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल - sushilbhole2@gmail.com
ब्लाग - http://mayarumati.blogspot.in/

एक बरस का हुआ तेजस...

झक ले आथे मया बढ़ाथे जिनगी ल महकाथे
घर के ओना-कोना ल संग अपन कुलकाथे
भाग्यविधाता मोर अंगना म अइसे देइस असीस
चारोंधाम कस इही लगथे, इहें सरग जनाथे
सुशील भोले 
मो. 80853-05931, 98269-92811





Wednesday 15 April 2015

बादर भइया बड़ा भुलक्कड़.....














बादर भइया बड़ा भुलक्कड़ कब कहां चल देथे
बरसा म लुकाये रहिथे अउ गरमी म धमक देथे
चेतलगहा अब रेहे ल परथे कब कइसे हो जाही
जब जइसन जरूरत होथे, बस उल्टा ये कर देथे

सुशील भोले 
मो. 80853-05931, 98269-92811

Tuesday 14 April 2015

गुरतुर बरफ के गोला......



































ठिन-ठिन सइकिल बाजत आगे जुरियागे गांव-टोला
सरी मंझनिया झपटिक-झपटा सब कहिथें दे-दे मोला
लइका-सियान सबो भिड़ जाथें, नइ बांचय महतारी
सबके टोटा सुघ्घर जुड़वाथे, गुरतुर बरफ के गोला

सुशील भोले 
मो. 80853-05931, 98269-92811

Monday 13 April 2015

कइसन रोग हमागे हावय बस्तर के माटी म...















अब कइसन रोग हमागे हावय बस्तर के माटी म
कभू छहेल्ला किंजरत राहन जिहां जंगल-घाटी म
कहिथें नक्लसी आगे लोगन, खापे न्याय मुखौटा 
चिन्हा मेटत हें पुरखा के लहू-रकत के परिपाटी म

सुशील भोले 
मो. 80853-05931, 98269-92811

Saturday 11 April 2015

घर-अंगना म खेलत बेटी....



















छुन-छुन पैरी कान सुनाथे मन ल गजब सुहाथे
घर-अंगना म खेलत बेटी अंतस ल जुड़वाथे
कहां जाबे तैं देवता-धामी कोन मंदिर के दरसन
घर म जेकर बेटी हावय उहें सरी तीरथ जनाथे
* सुशील भोले *

Friday 10 April 2015

मइके छूटगे मया बिसरगे...











मइके छूटगे मया बिसरगे, महतारी के अंगना
नान-नान बहिनी-भाई के संग म खेलना-कूदना
कइसे मोह बनाये विधाता तैं चुटकी भर सेंदूर के
कुल-गोत्र सबो तो छुटगे, ददा के किस्सा कहना
* सुशील भोले *

Thursday 9 April 2015

टिमटिम करथे चिमनी....













टिमटिम करथे चिमनी, कंडिल लेथे भभका
हमर राज म बिजली देथे सरप्लस के झटका
शहर-पहर म भले बरय या मंत्री के घर म
हमर गंवई म अभी घलो गोंड़ीदिया के ढरका
* सुशील भोले *

Wednesday 8 April 2015

सांस-सांस म जहर घुरत हे....














सांस-सांस म जहर घुरत हे जीना होगे भारी
धुंआ उड़ावत मोटर-गाड़ी जमराज के संगवारी
देख विकास के चिमनी घलो लेवत हवय परान
अलहन होगे तरिया-नंदिया मुश्किल हे निस्तारी
सुशील भोले

अप्पत होगे टूरा निच्चट....















अप्पत होगे टूरा निच्चट नइ मानय एक्कोच बात
खोरकिंजरा कस किंजरत रइथे दिन चिन्हय न रात
महूं गुनथौं कहूं बेटी होतीस करतीस संवागा घर के
हाथ बंटातीस दाई के अउ खवातीस चुरो के भात
सुशील भोले

Tuesday 7 April 2015

नंगत झड़क ले बासी....















दिन आगे हे गरमी के नंगत झड़क ले बासी
दही-मही के बोरे होवय चाहे होवय तियासी
तन तो जुड़ लागबे करही मन घलो रही टन्नक
काम-बुता म चेत रही नइ लागय कभू उदासी
*सुशील भोले*

Monday 6 April 2015

आ दरपन तैं देख जउंरिहा...



















आ दरपन तैं देख जउंरिहा कइसे दिखथे चेहरा
तोर रूप तो धंस गे हावय जइसे गड्ढा-दहरा
का बात के भरम म हावस कइसे चिक्कन अंग हे
करम के कालिख तो उपकत हे रंग घलो हे गहरा
*सुशील भोले*

पहिली सुमरनी तोर....



















पहिली सुमरनी तोर गजानन तहीं विघ्ना के हरता
दाना-दाना जोर-सकेल के शुभकारज के करता
तहीं बिपत के संगी-साथी, सुख के तहीं मितान
तोर सरन म जे-जे आथें, बनथस सबके भरता
*सुशील भोले*

Thursday 2 April 2015

कुल पाये हन कुरमी....












करम करे बर जनम लिए हन कुल पाये हन कुरमी
जांगर टोर सोना उपजाथन चाहे भुइयां राहय मुरमी
क ख ग हमर खेती-बारी इही गीता-वेद के ज्ञान
हमरे खातिर लोगन खाथें पेट भर ठेठरी-खुरमी
*सुशील भोले*

तभो कहाथे दाऊ......














पर भरोसा तीन परोसा, जांगर देखबे त फाऊ
सिरतोन निच्चट कोढिय़ा हावय तभो कहाथे दाऊ
नौकर-चाकर खटत रहिथें घर-खेत म वोकर
तबले लांघन-भूखन रहिथें, एला देखबे त खाऊ
*सुशील भोले*

नवा बहुरिया आही......



















बर-बिहाव के बजगे बाजा नवा बहुरिया आही
मोर सुघ्घर बाढ़े बेटा ल झम्मक ले ले जाही
पेट काट-काट पोसे हावंव करके भारी जतन
फेर सब कहिथें छोड़ाके मोला अकेल्ला पोगराही
*सुशील भोले*