Wednesday 20 May 2015

...पर खेत अभी भी सूखे हैं

जाल बिछे हैं नदियों के पर खेत अभी भी सूखे हैं
देखो घर में अन्नदाता के, बच्चे कब से भूखे हैं
चूस रहे हैं जलस्रोतों को दानव बने सभी कारखाने
इसीलिए तो आमजनों के जीवन अब तक रूखे हैं

सुशील भोले
मो. 80853-05931, 98269-92811

No comments:

Post a Comment