Thursday 4 June 2015

एक बछर अउ बीत गे....


















एक बछर अउ बीत गे, मोर जिनगी के संगी
होय लगे हे सांस ले म, थोक-बहुत अब तंगी
के दिन खटही टूटही डोंगी, बीच-धारा म गुनथौं
ये देंह के एकक अंग तो, खेलत हे दंगा-दंगी

सुशील भोले
मो. 080853-05931, 098269-92811

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