Monday 19 October 2015

कुल-देवता और मूल-देवता..


डुमन लाल बड़ा दुखी था. एक दिन मुझसे पूछ बैठा- 'गुरुजी, मैं बहुत मेहनत करता हूं. देवी-देवताओं की पूजा भी करता हूं, तब भी पिछड़ापन और गरीबी मेरा साथ नहीं छोड़ती. आखिर बात क्या है?"

मैंने उससे कहा- 'मेहनत का काम तो अच्छा है, लेकिन ये बताओ कि तुम किसकी पूजा करते हो?"

डुमन बोला- 'पंडित जी ने जिन देवताओं की पूजा करने के लिए कहा है, उन सभी देवताओं की पूजा करता हूं."

मैंने फिर पूछा- 'अच्छा ये बताओ, तुम अपने कुल देवता की पूजा करते हो या नहीं?"

उसने नहीं में सिर हिलाया और कहा- 'गुरुजी, कुल देवता की तो नहीं करता. दरअसल पंडित जी हमारे घर में पूजा करने के लिए एक दिन अपने थैले में जिन देवताओं को लेकर आये थे, उन्हीं देवताओं की रोज पूजा करता हूं."

मैंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा- 'अरे डुमन तुम यह बताओ, तुम्हारे घर में खुशहाली कब आयेगी, तुम्हारे अपने देवता के खुश होने पर या बाहर के देवता के खुश होने पर? तुम बाहर के देवता की पूजा करते हो इसीलिए बाहरी कहे जाने वाले लोग खुशहाल हैं, तुम पर राज कर रहे हैं. देख लो पूरी दुनिया में ऐसा ही हो रहा है.

तुमको यदि खुशहाली चाहिए तो तुम्हे अपने कुल देवता की पूजा करनी पड़ेगी. और यदि तुम अपना राज भी चाहते हो तो तुम्हे अपने मूल देवता की भी पूजा करनी पड़ेगी. नहीं तो जीवन भर ऐसी ही गुलामी भोगते रह जाओगे। क्योंकि धर्म और संस्कृति लोगों को गुलाम बनाने का सबसे सरल और आसान साधन है. तुम देख ही रहे हो जिन लोगों को तुमने धर्म के नाम पर अपने सिर पर बिठा लेने का गलत फैसला लिया था, वे आज हर क्षेत्र में काबिज होते जा रहे हैं. और तुम केवल मूक दर्शक बने हुए हो".

मैंने उससे फिर पूछा- 'अच्छा ये बताओ, तुम इन सब चीजों से मुक्ति चाहते हो या नहीं? "

उसने कहा- 'हां गुरुजी, अवश्य मुक्ति चाहता हूं."

तब मैंने कहा- 'यदि तुम राजनैतिक, सामाजिक और अर्थिक गुलामी से मुक्त होना चाहते हो तो सबसे पहले तुमको धार्मिक एवं सांस्कृतिक गुलामी से मुक्त होना पड़ेगा. बाहर से लाये गये देवताओं को छोड़कर अपने कुल देवता और मूल देवता की पूजा करनी पड़ेगी, तभी तुम पहले की तरह सुखी हो पाओगे, और तभी पहले के ही समान यहां का राज भी तुम्हारे अपने हाथों में आ पायेगा।"

मुझे लगा कि डुमन लाल को मेरी बातें समझ में आ गई थीं, क्योंकि उसके चेहरे पर तैरते दृढ़ता के भाव इस बात की पुष्टि कर रहे थे. और तभी डुमन गरज उठा- 'जय कुल देवता... जय मूल देवता..."

सुशील भोले
संस्थापक, आदि धर्म सभा
डॉ. बघेल गली, संजय नगर, रायपुर (छत्तीसगढ़)
मोबा. नं. 098269-92811, 080853-05931
ईमेल -  sushilbhole2@gmail.com

No comments:

Post a Comment