Thursday 7 January 2016

तभे पुरखा मन के सपना होही साकार...

परदेशिया राज से मुक्त होने का आव्हान
------------------------
छत्तीसगढिय़ा मन जब होहीं एकाकार
तभे पुरखा मन के सपना होही साकार
----
छत्तीसगढिय़ा क्रांति सेना अपनी मूल संस्कृति और महापुरुषों को स्मरण करने का लगातार प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में  नए वर्ष की नव प्रभाती में 3 जनवरी को संस्कारधानी-न्यायधानी बिलासपुर के मुंगेली नाका स्थित ग्रीन गार्डन में महान संत और मनखे-मनखे एक बरोबर के उद्घोषक गुरु घासीदास जी को 'पुरखाÓ के रूप में 'सुरताÓ किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में गुरु घासीदास जी की सातवीं और आठवीं पीढ़ी के वंशज गुरु बालदास जी एवं गुरु सोमेश दास जी उपस्थित थे.

जनवरी की सर्द हवाओं में अंगारा दहकाते हुए प्राय: सभी वक्ताओं ने सभी छत्तीसगढिय़ा समाज को एकजुट होकर परदेशिया राज से मुक्त होने का आव्हान किया. भंडारपुरी गुरुद्वारा के गद्दीनशीन गुरु बालदास जी ने अपने उद्बोधन में सभी छत्तीसगढिय़ा समाज को एकजुट होने का आव्हान किया. उन्होंने कहा, गुरु बाबा घासीदास जी का संदेश केवल सतनामी समाज के लिए नहीं, अपितु समस्त मानव समाज के लिए है. उनके बताए रास्ते पर चलकर ही हम छत्तीसगढिय़ा राज का सपना साकार कर सकते हैं. हमारे महापुरुषों ने छत्तीसगढिय़ा राज का जो स्वप्न देखा था, वह तभी साकार होगा जब हम एकजुट होकर परदेशिया लोगों से मुकाबला करेंगे. उनके बांटो और राज करो की नीति को मुंहतोड़ जवाब देंगे.

गुरु घासीदास जी की आठवीं पीढ़ी के वंशज ब्रम्हचारी सोमेश दास जी ने भी संपूर्ण छत्तीसगढिय़ा समाज को एकजुट होने का आव्हान किया. उन्होंने कहा, 'गुरु घासीदास जी के बताए रस्ता म रेंगबो, तब हमला उंकर आशीर्वाद मिलही अउ तभे हमर पुरखा मन के छत्तीसगढिय़ा राज के सपना साकार होही.Ó उन्होंने कहा, सतनाम का संदेश समस्त मानव जाति को एक करने का है. आज हम विभिन्न जातियों में बंटकर बिखरे हुए हैं. इसी का फायदा बाहरी लोग उठाते हैं. हमें आपस में उलझाते और लड़ाते हैं. और मु_ी भर लोग हम पर राज कर लेते हैं.

'पुरखा के सुरताÓ कार्यक्रम की शुरूआत छत्तीसगढ़ महतारी एवं गुरु घासीदास जी की वंदना-आरती के साथ हुई. इसके पश्चात छत्तीसगढ़ी भाषा के पुरोधा साहित्यकार, भाषाविद् डॉ. पालेश्वर प्रसाद शर्मा को दो मिनट की श्रद्धांजलि अर्पित की गई. तत्पश्चात वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी नंद किशोर शुक्ला ने गुरु घासीदास जी के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, जिस प्रकार अंग्रेजों ने हमें जात-पात में बांटकर इस देश में राज किया, उसी प्रकार ये बाहरी लोग भी हमको आपस में लड़ा-भिड़ा कर राज कर रहे हैं. गुरु घासीदास जी सभी लोगों को जोड़कर एक पंथ का निर्माण किए हैं, उसी प्रकार हम लोग भी एकजुट होकर छत्तीसगढिय़ा राज का निर्माण करें. 

प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक और डॉ. खूबचंद बघेल जयंती आयोजन समिति, बिलासपुर के संयोजक डॉ. एल.सी. मढ़रिया ने भी समस्त छत्तीसगढिय़ा समाज को एकजुट होने का आव्हान किया. उन्होंने कहा, छत्तीसगढिय़ा किसान अपना खून-पसीना बहाकर धान उपजा रहे हैं, और परदेशिया उसकी बाली को काटकर खा रहे हैं. आज छत्तीसगढ़ में आरुग छत्तीसगढिय़ा नेता की आवश्यकता है.

अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ यादव ने कहा, जिस तरह अन्य प्रदेश के लोग अपनी भाषा-संस्कृति के प्रति कट्टर हैं, उसी प्रकार हमें भी अपनी अस्मिता के प्रति कट्टर होना पड़ेगा. इसकी शुरूआत हम अपने ही घर से करें.

कृषि वैज्ञानिक डॉ. गजेन्द्र चंद्राकर ने कहा, छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पश्चात छत्तीसगढिय़ों का शोषण और बढ़ गया है. यहां की जमीनों को गैर छत्तीसगढिय़ा लोगों के हाथों में सौंपने का खुला खेल चल रहा है. प्रतिवर्ष एक लाख कृषि भूमि को गैर कृषि कार्यों के लिए दे दिया जा रहा है. छत्तीसगढ़ का किसान कभी आत्महत्या नहीं करता था. आज पूरे देश में कृषक आत्महत्या के मामले में यह राज्य तीसरे स्थान पर पहुंच गया है. यहां के किसान दिन प्रतिदिन मजदूर बनते जा रहे हैं. आज इस प्रदेश में जितने भी विधायक-सांसद हैं, उनमें बाहरी लोगों और उनकी विचारधारा पर चलने वालों की संख्या ज्यादा है. 

छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच के संस्थापक स्व. ताराचंद साहू के दामाद और एसीसीएल में अधिकारी के रूप में कार्यरत नागेन्द्र साहू ने स्पष्ट कहा, आज छत्तीसगढ़ को 'स्वाभिमान मंचÓ की नितांत आवश्यकता है. स्व. ताराचंद जी के पुत्र दीपक साहू भले ही राजनीति की धारा में बह गये, लेकिन मैं इस सिद्धांत का समर्थक हूं. आज मुझे बहुत खुशी हो रही है, छत्तीसगढिय़ा क्रांति सेना के बैनर तले फिर से सभी छत्तीसगढिय़ा समाज को एकजुट किया जा रहा है.

शिक्षाविद् डॉ. सोम गोस्वामी ने कहा, शिक्षा, दीक्षा और चिकित्सा सभी क्षेत्रों में आरुग छत्तीसगढिय़ा लोगों को होना चाहिए. नेता अधिकारी सभी लोगों को अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना चाहिए. इससे एक तो उन स्कूलों के स्तर में सुधार आएगा साथ ही सभी लोगों को एक जैसी शिक्षा मिलेगी. इससे मनखे-मनखे एक बरोबर का गुरु घासीदास का सिद्धांत पूरी तरह लागू होगा. 

कर्मचारी नेता श्याम मूरत कौशिक ने कहा, संगठित होकर बाहरी नेताओं को सभी चुनावों में हरवाना आवश्यक है. उन्होंने कहा सम्पूर्ण छत्तीसगढिय़ा राज की स्थापना के लिए हमारा तन, मन, धन सब कुछ समर्पित है. छत्तीसगढिय़ा क्रांति सेना के युवा नेता अजय यादव ने गुरु घासीदास जी के सिद्धांत और क्रांति सेना की साम्यता पर प्रकाश डाला.

 वरिष्ठ साहित्यकार संस्कृति मर्मज्ञ सुशील भोले ने कविताओं के माध्यम से पूर्ण छत्तीसगढिय़ा राज्य स्थापित करने की बात कही. उन्होंने गुरु घासीदास के चित्रों में एकरूपता लाने की बात उपस्थित धर्म गुरुओं से की. साथ ही आव्हान किया कि ऐसे ग्रंथों का बहिष्कार किया जाना चाहिए जो हमें जाति-वर्ण में बांटने और भेदभाव करने के लिए उकसाते हैं. सुशील भोले ने कहा, अब छत्तीसगढ़ी समाज को आध्यात्मिक गुरुजनों के द्वारा नेतृत्व प्रदान किए जाने की आवश्यकता है. राजनीति के दगाबाज नेताओं ने छत्तीसगढिय़ा उम्मीदों को डूबाकर रख दिया है। इसलिए छत्तीसगढिय़ा आंदोलन की विश्वसनीयता को संदेह की नजरों से देखा जाता है. इस धारणा को बदलने के लिए स्वच्छ छवि के गैर राजनीतिक लोगों के अलावा आध्यात्मिक पुरुषों को इसमें जोड़ा जाना चाहिए.

छत्तीसगढ़ राज्य आन्दोलनकारी दाऊ आनंद कुमार ने कहा, राज्य आन्दोलन हम लोगों ने किया और लाल बत्ती में परदेशिया लोग घूम रहे हैं. उन्होंने कहा, यहां के हर खदान, हर संसाधन पर बाहरी लोग काबिज होते जा रहे हैं. अब छत्तीसगढिय़ों के स्वाभिमान की जीत होनी चाहिए. पूर्णत: छत्तीसगढिय़ा राज्य की स्थापना होगी तभी पुरखों का स्वप्न साकार होगा.

छत्तीसगढिय़ा क्रांति सेना के प्रदेशाध्यक्ष अमित बघेल ने आक्रामक अंदाज में कहा, अब समय आ गया है, हम भगत सिंह की तरह फांसी पर झूलने की बजाय सुभाष की तरह परदेशिया लोगों का संहार कर छत्तीसगढिय़ा राज्य लेंगे. मांगने से भीख मिलता है, सम्मान नहीं. हमको यदि सम्मान चाहिए तो उसे छीनकर लेना होगा. अब मुख्यमंत्री दिल्ली वालों के रहमोकरम पर नहीं छत्तीसगढिय़ा लोगों की मर्जी से बनना चाहिए. ऐसा तभी हो सकता है, जब हम बाबा गुरु घासीदास जी के मनखे-मनखे एक बरोबर के सिद्धांत पर चलकर एक होंगे.

कार्यक्रम के अंत में महिला प्रदेशाध्यक्ष लता राठौर ने आभार व्यक्त किया. विभिन्न वक्ताओं के वक्तव्य के साथ ही साथ जय परिहार, केजूराम टंडन, मनमोहन ठाकुर, आशा सुबोध अनामिका आदि ने काव्यपाठ के माध्यम से छत्तीसगढ़ महतारी के दर्द को व्यक्त किया. सभा का संचालन यशवंत वर्मा ने किया. सभा समाप्ति के पश्चात छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध जोशी बहनों ने पारंपरिक गीतों की आकर्षक प्रस्तुति दी. छत्तीसगढिय़ा अस्मिता के लिए समर्पित इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ रेल कर्मचारी समिति की ओर से प्रसादी-खिचड़ी की व्यवस्था की गई थी. पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का स्टाल आकर्षण का केन्द्र था, जहां चीला, फरा, ठेठरी, खुरमी जैसे व्यंजन अपनी खुश्बू से लोगों को आकर्षित कर रहे थे.

छत्तीसगढिय़ा क्रांति सेना के संजीव साहू, देव लहरी, राकेश छत्तीसगढिय़ा, सुधांशु गुप्ता, तुकाराम साहू, वासंती वर्मा, तुलसी देवी तिवारी, भुवन वर्मा, सोनू नेताम गोंड़ ठाकुर, मिलन मलरिहा, ध्रुव देवांगन, गिरधर साहू, दिनेश बारले, रश्मि गुप्ता, किरण शर्मा, नीतेश, बलवंत बंजारे सहित प्रदेश के दूरस्थ अंचलों से आये सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने इस गरिमामय आयोजन में अपना योगदान दिया.

*सुशील भोले *
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मो. नं. 080853-05931, 098269-92811

1 comment:

  1. बड सुग्घर सम्पादन कवी जी ..... मन मोह लिस ...

    ReplyDelete