जब ले नवतपा लगे हे, तब ले बादर भइया के मया बाढग़े हे। रोज संझा धमक देथे। थोक-बहुत घुड़ुर-घाडऱ करथे, पानी बरसथे, फेर कोनो-कोनो जगा करा घलो ठठा देथे। आंधी-गरेर घलो संग म लानथे, जे ह टीन-टप्पर, रूख-राई मन के सत्यानाश कर देथे। लोगन बस अतके पूछत रहि जाथें, के बादर भइया तैं बरसात म कहां लुकाए रेहे?
सुशील भोले
9826992811, 8085305931
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