कवि हजारों होथें, फेर सबके अलग-अलग दृष्टिकोण अउ उद्देश्य होथे। कतकों झन जब मोला जानथें के ये कवि ये, त झट पूछथे- फलाना हास्य कवि संग आथस-जाथस का? मैं कहिथौं के मैं तो एक उद्देश्य अउ सिद्धांत ल लेके साहित्यिक रचना लिखथौं, त वोकर समझ म कुछु नइ आवय। मैं कहिथौं- जेन दिन तैं कबीर दास अउ कुमार विश्वास के अंतर ल समझ जाबे, उही दिन तोला हास्य अउ गंभीर लेखन के अंतर घलोक समझ आ जाही।
सुशील भोले
9826992811, 808530593
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