जय-जय छत्तीसगढ़ महतारी,
अब क्रांति की आई बारी
बहुत हुई चरण वंदना,
और गौरवगान की लाचारी।।...
अब रणबांकुरों की बांहों से
गीत समर का गाना है
जो लूट रहे यहां की समृद्धि
उन्हें खून-खून रुलाना है
जितने शोषक रक्त पिपासु
उन्हें सजा देना है भारी।।....
राष्ट्रीयता के भ्रम से निसदिन
जो नादान भटक रहे
झूठे-पाखंडी के संग में
सत्ता-सुख जो गटक रहे
एेसे लोगों को जागृत कर
कराएं उन्हें क्षेत्रीय चिन्हारी।।...
धर्म-मुखौटों को ढ़ांके
जो गली-गली यहां बोल रहे
हमारी अस्मिता को लीलने
जो दुश्मन सा यहां डोल रहे
एेसे धर्म-भ्रष्टों को रौंदने की
आओ करें तैय्यारी।। .....
* सुशील भोले
मो. 98269 92811
(फोटो- बसंत साहू)
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