Thursday 22 September 2016

बाबा बेच रहे मंजन...



बाबा बेच रहे मंजन शर्म-हया का नहीं है अंजन स्वदेशी का राग अलापते बने हुए हैं दुखभंजन.... दंत क्रांति हो चाहे या सरसों का तेल उनके सब उत्पाद से नहीं किसी का मेल कई लेप हैं जिनसे दमकेंगे बालाओं के चेहरे-कंचन.... हनी से मनी बचेगा त्रिफला करेगा पेट साफ कभी भूल से गलती हो गई तो करना जी माफ विदेशियों ने कभी गंवार कहा उनका करते हैं खंडन.... * सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 98269 92811, 80853 05931

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