Wednesday 9 November 2016

रतिहा ल कहां बिताथे...


















जहुंरिया ल का हो जाथे रे, धनी ल का हो जाथे
बिहनिया आथे संझा चले जाथे, रतिहा ल कहां बिताथे...

मंदिर-मस्जिद खोज डरे हौं, गुरुद्वारा म झांके हौं
चारों मुड़ा के चर्च मनला बही-भूती कस ताके हौं
निरगुन घाट म जा के घलो, आंखी पथराथे रे....

मन बैरी मानय नहीं, जिवरा धुक-धुक करथे
कोनो सउत के संसो म तन म आगी कस बरथे
करिया जाथे रे, लाली रंग के सपना ह करिया जाथे...

चंदा उतरगे हे गांव म, जुग-जुग ले हे गली खोर
फेर मोर मयारु संग जुड़ही, कइसे मया के डोर
जमो आस सिरागे रे, बइरी बिरहा बिजराथे न....

* सुशील भोले
 डॉ. बघेल गली, संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
 मोबा. नं. 98269 92811, 80853 05931

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