छत्तीसगढ़ के मैदानी भाग में प्रचलित संस्कृति के मूल स्वरूप पर मेरे द्वारा लिखे गए आलेखों का संकलन "आखर अंजोर " का आवरण पृष्ठ...
विश्वास है, यह संकलन यहां के मूल धर्म और संस्कृति पर अपने नाम के अनुरूप "अक्षर का प्रकाश " फैलाएगा...
"आखर अंजोर " के आवरण पर अंकित चित्र तेज रूप में संपूर्ण ब्रम्हाण्ड में व्याप्त परमात्मा का प्रतीक स्वरूप है। साधना काल में साधक को ध्यानावस्था मेंं वह "काले रंग का अर्द्ध र्गोलाकार" दिखाई देता है। उसका ऊपरी आवरण "हल्का सा लालिमा" लिए हुए रहता है। हमारी संस्कृति में शिव लिंग को "काला अर्द्ध गोलाकार" बनाने की जो परंपरा है, उसका मूल कारण यही है।
विश्वास है, यह संकलन यहां के मूल धर्म और संस्कृति पर अपने नाम के अनुरूप "अक्षर का प्रकाश " फैलाएगा...
"आखर अंजोर " के आवरण पर अंकित चित्र तेज रूप में संपूर्ण ब्रम्हाण्ड में व्याप्त परमात्मा का प्रतीक स्वरूप है। साधना काल में साधक को ध्यानावस्था मेंं वह "काले रंग का अर्द्ध र्गोलाकार" दिखाई देता है। उसका ऊपरी आवरण "हल्का सा लालिमा" लिए हुए रहता है। हमारी संस्कृति में शिव लिंग को "काला अर्द्ध गोलाकार" बनाने की जो परंपरा है, उसका मूल कारण यही है।
पुस्तक प्रकाशित होय के बाद पढ़े बर आॅन् लाइन जरूर उपलब्ध कराहू। आंखर अंजोर जइसन किताब के समाज ल जरूरत हावय...
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