Monday 18 December 2017

धरम संस्कृति के जे मन नइ...

धरम संस्कृति के जे मन नइ जानंय परिभाषा
बस रटत रहिथें अइसन मन केवल भाषा भाषा

बाहिर के पोथी रटने वाला ले कइसे करिन विश्वास
कइसे होही अइसन ले अस्मिता बर कोनो आस

ढोंग के गरभ ले नइ निकलय क्रांति के कोनो रद्दा
बस चिन्हारी करत लोगन कर देथें इनला बद्दा

अपन मूल चिन्हारी खातिर मूल धर्म अपनाना परही
बाहिर के जतका ग्रंथ-गुरु हें निच्चट तिरियाना परही

तभे आही अंजोरी इहां जब खुद के धर्म-ध्वजा लहराही
मूल आदि धर्म के छइहां म जन-जन जब जुरियाहीं

-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 9826992811

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