Sunday 17 December 2017

जे समाज के होवय नहीं...

जे समाज के होवय नहीं स्वतंत्र कोनो चिन्हारी
पर के पाछू भटकत रहिथे इही वोकर लाचारी
धरम-संस्कृति के बात हो या शासन के गोठ
बस पिछलग्गू बने रहिथे नइ होवय कभू रोठ
अइसन बेरा ले बंचना हे त उठाव अगुवा के झंडा
नई खाहू फेर कभूच तुम तो भेद-भाव के डंडा

-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो. 9826992811

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