Sunday 13 May 2018

"आदि धर्म जागृति संस्थान" काबर...?

आदि धर्म जागृति संस्थान काबर...?
शोषण के बहुत अकन रूप होथे। हमन छत्तीसगढ़ राज आन्दोलन संग जुड़े राहन त राजनीतिक शोषण के बात करन। आने-आने राज ले आए लोगन हमर शासन-प्रसाशन के अधिकार म बइठगे हवंय अउ हमर अस्तित्व के, हमर चिन्हारी के संहार करत हें, हमर मुंह के कौंरा ल नंगावत हें।

तब ये सपना देखे गे रिहिसे के जेन दिन छत्तीसगढ़ ह अलग राज के रूप म अपन स्वतंत्र चिन्हारी बना लेही, वो दिन इहां के जम्मो मूल निवासी मन के हाथ म इहां के जम्मो राज-काज आ जाही। तहां ले फेर जम्मो मूल निवासी मन के दिन बहुर जाही। इहां के बोली-भाखा म जम्मो काम-काज होही, पढई-लिखई होही, तब इहेंच के लइका मन जम्मो किसम के नौकरी-चाकरी म घलो अगुवा बन के बइठहीं।

आज दू दशक ले आगर बेरा होगे हावय, फेर ए कोरी भर के बछर म घलो मूल निवासी वर्ग के कोरी भर मनखे घलोक ऊँचहा अउ ठोसहा पद म बइठे नइ दिखंय।उल्टा ये देखब म आवत हे, के जेकर मन के गुलामी ले मुक्ति खातिर राज आन्दोलन के नेंव रखे गे रिहिसे, तेकरेच मन के संख्या दिनों-दिन बाढ़तेच जावत हे।

गुनान करव, एकर मूल कारन का आय? काबर आने क्षेत्र ले आए लोगन के पिछलग्गू बने ले हम बांचे नइ पावत हन? कम पढे़-लिखे मन के तो बात ल छोड़िच देवव, बड़े-बड़े पढ़ंता अउ गुनिक मन घलो इहीच गुलामी के रद्दा म हवंय। मैं जिहां तक गुन पाएंव, एकर असल कारन आय धार्मिक अउ सांस्कृतिक गुलामी। चेत करव, सिरिफ राजनीतिक गुलामी नहीं, असल म धार्मिक अउ सांस्कृतिक गुलामी।

आने-आने राज के मनखे धर्म गुरु के चोला ओढ़ के आथें, संग म उहेंच के लिखे पोथी-पतरा अउ जीवन शैली लानथें, तहां ले फेर राष्ट्रीयता अउ राष्ट्रीय धर्म के नांव म हमला अपन मायाजाल म फांस लेथें। तहां ले फेर हम बिना कुछू गुने-समझे उंकर पाछू धर लेथन। उन धर्म के आड़ म हमर जमीन-जायदाद, रोजी-रोटी, शासन-प्रशासन अउ हमर जीवन शैली म घलोक कब्जा कर लेथें। इही आय असल म हमर गुलामी अउ शोषण के मूल कारन।

त गुनव, एकर ले बांचे खातिर का उपाय हे? जब हमर खुद के भाखा हे, हमर कला हे, हमर संस्कृति हे, त का हमर खुद के आध्यात्मिक जीवन शैली अउ पूजा-उपासना के पद्धति नइहे? निश्चित रूप ले हावय। अपन 21 बछर के साधना काल म मोला ए समझ म आइस, के हमर जगा तो सबकुछ हे। इहां के मूल संस्कृति एक सम्पूर्ण धर्म आय, एक सम्पूर्ण जीवन पद्धति आय। हमर जगा मौलिक जीवन शैली हे, पूजा-उपासना के विधि हे, त फेर हम धरम-संस्कृति के नांव म पर के पाछू काबर भटकत हावन? अपन खुद के जीवन शैली अउ उपासना विधि, जेला हमर पुरखा मन तइहा जुग ले धरे अउ जीयत आएं हें, उहीच ल फेर धो-उजरा के काबर नइ आत्मसात कर लेवन?

"आदि धर्म जागृति संस्थान" के गठन अउ वोला मैदान म स्थापित करे के ये उदिम असल म उही सब गुलामी ले मुक्ति के रद्दा देखाय के एक नान्हे उदिम आय। मोला भरोसा हे, इहां के जम्मो चिंतक अउ गुनिक मनखे मन हमर ए बात ल समझहीं, अउ अपन संगे-संग जम्मो मूल निवासी मनला घलो एमा जोर के जम्मो किसम के गुलामी अउ शोषण ले मुक्ति पाहीं।

कतेक भटकहू पर के पाछू खुद धरव धरम के झंडा
पुरखा मन सम्हाल रखे हें जेन आदि काल के हंडा
भरे लबालब हे गुन म बस एला तुम कबिया लेवव
नइ परही फेर तुंहला कोनोच पंथ-प्रपंच के डंडा

-सुशील भोले
आदि धर्म जागृति संस्थान रायपुर 
मो/व्हा. 9826992811

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